प्रदेश को सबसे ख़राब मुख्यमंत्री का तमगा हांसिल होने से उत्तराखंड के सियासी गलियारों में छिड़ी जंग
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Reported by Awaaz Desk
On 16 Jan 2021

पिछले कुछ घंटों से उत्तराखंड का सियासी माहौल एक बार फिर तेजी से गर्म हो रहा हैं। उत्तराखंड के सोशल मीडिया यूज़र और विपक्षी पार्टियों से जुड़े लोगों ने सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर तंज कसना शुरू कर दिया है।
दरअसल हुआ यूं कि देश के एक निजी चैनल ने देश के 31 मुख्यमंत्रियों में से सबसे अच्छे और सबसे खराब प्रदर्शन वाले मुख्यमंत्री कौन हैं? इस सवाल को लेकर देश का मूड जानने की कोशिश की। चैनल के सर्वे में सबसे अच्छे 3 मुख्यमंत्रियों में बीजेपी का कोई भी मुख्यमंत्री शामिल ना होने के साथ उत्तराखंड प्रदेश के बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सबसे खराब मुख्यमंत्री की लिस्ट में सर्वे के अनुसार पहले पायदान पर दर्शाए गए।
फिर क्या था इस खबर के प्रकाशित होने के बाद प्रदेश के सोशल मीडिया के माध्यम में उत्तराखंड में सियासी जंग छिड़ गयी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को लेकर सोशल मीडिया पर राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग और आम जनमानस ने जमकर तंज कसाना शुरू कर दिया। जिससे उत्तराखंड प्रदेश में सियासी घमासान मच गया, विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री को लेकर निजी चैनल के सर्वे का उदाहरण देते हुए उनकी कार्यशैली पर जमकर सवालिया निशान लगाते हुए उत्तराखंड की भाजपा सरकार को जमकर घेर रहे है। विपक्षी पार्टी से जुड़े लोग इसे उत्तराखंड का शर्मनाक अपमान बताते हुए मुख्यमंत्री रावत को जल्द सीट जोड़ने की नसीहत देते दिख रहे है। उत्तराखंड की विधानसभा सियासत में हर विधानसभा में चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाली आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एस एस कलेर ने मुख्यमंत्री रावत पर तंज कस्ते हुए बीते चार साल में सरकार द्वारा कोई भी जनहित के कार्य ना होने के आरोप लगाए। कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर निजी चैनल के सर्वे की तस्वीर साझा करते हुए पूछता है उत्तराखंड के स्लोगन से मुख्यमंत्री रावत पर तंज कस्ते हुए पूछ रहा है आपने उत्तराखंड प्रदेश के लोगों का अपमान क्यों करवाया।
फ़िलहाल, प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की बिसात धीरे-धीरे बिछना शुरू ही हुआ था कि एक निजी चैनल के सर्वे ने उत्तराखंड की विपक्षी पार्टियों के हाथ में गरम घी देने का काम किया है। विपक्ष भी अब अपने हाथ आए गरम घी के इस मुद्दे को उत्तराखंड की सियासी आग में डालकर सत्ताधारी पक्ष को जमकर जलाने का काम कर रहे है।