ब्रेकिंग:कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले कद्दावर नेता अहमद पटेल का हुआ निधन

Reported by Kanchan Verma
On 25 Nov 2020
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भारत के दिग्गज नेता और कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले अहमद पटेल का बुधवार सुबह निधन हो गया, 71 साल के पटेल एक अक्टूबर को ही कोरोना से संक्रमित हुए थे। बुधवार सुबह उनके बेटे फैसल पटेल ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की।भरूच के पिरामन गांव में पैदा हुए अहमद पटेल ने साल 1977 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था और विजयी रहे थे।अहमद पटेल भरूच के एक छोटे से गांव पिरामन में पैदा हुए थे,उनके पिता इशाकभाई ही सबसे पहले व्यक्ति थे जिसने उन्हें राजनीति में जाने के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद उन्होंने साल 1976 में अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा जो एक पंचायत चुनाव था। साल 1977 में एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरिसिंह भाई महिदा ने पटेल के अंदर प्रतिभा देखी और उनका नाम भरूच लोकसभा सीट के लिए केंद्रीय नेतृत्व को सुझाया।उसी दौरान अहमद पटेल के पिता का निधन हो गया।चुनाव के रिजल्ट आए तो अहमद पटेल ने भरूच से 64 हजार वोटों से जीत हासिल की लेकिन कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हार चुकी थी। 28 साल की उम्र में ही अहमद पटेल सांसद बन गए थे। अहमद पटेल के मुताबिक उस हार के बाद भी इंदिरा जी को जोश और सकारात्मकता से काम करते देख बहुत प्रेरणा मिली,इन्दिरा गांधी को देखकर ही हमेशा जमीन से जुड़े रहने के लिए प्रेरणा मिली।
पटेल को कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता था। वह सोनिया गांधी के सबसे करीबी और राजनीतिक सलाहकार थे।2001 से वह सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार है। वह सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे।अहमद पटेल को 10 जनपथ का चाणक्य और कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी कहा जाता था,कांग्रेस पार्टी में उनका दबदबा था। उनके बारे में खास बात यह है कि वह कभी मंत्री नहीं रहे, लेकिन सत्ता के केंद्र में रहे। वह सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार व बेहद करीबी थे। कांग्रेस में वह बेहद ताकतवर व असरदार होते हुए भी लो-प्रोफाइल रखते थे। पटेल की कोशिश रहती थी कि दिल्ली और देश की मीडिया में उनकी जरा भी खबर न चले। सत्ता के केंद्र में रहते भी वह सुर्खियों से दूर रहते थे। वह किसी भी टीवी चैनल पर नहीं दिखते थे,राजीनति से दूर उन्हें बड़ी सादगी का जीवन बिताना पसंद था।अहमद पटेल के निधन पर सोनिया ने कहा कि उन्होंने वफादार सहयोगी और दोस्त खो दिया है