ब्रेकिंग:भारत के 600 एनजीओ पर बैठेगी अब जांच घोटाले में हुआ खुलासा हर बच्चे के लिए विदेशों से आये 6 लाख लेकिन खर्च किये महज 60 हज़ार
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Reported by Awaaz Desk
On 19 Nov 2020

भारत मे एनजीओ चलाना बेहद आसान है मौजूदा समय में भारत मे तकरीबन 600 सरकारी और गैर एनजीओ ऐसे है जिन्हें विदेशों से सालभर में भारीभरकम पैसे सिर्फ बच्चों की परवरिश के लिए ही मिलते हैं ,लेकिन आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि 6 लाख में से ये एनजीओ बच्चों पर सिर्फ 60 हज़ार ही खर्च किये है बाकी पैसों का क्या हुआ अभी तक पता नही चल पाया है, ये बड़ा खुलासा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने किया है।भारत के इन 600 एनजीओ के वित्तीय घोटाले को लेकर अब आगे भी जांच की जाएगी।
एनसीपीसीआर के मुताबिक भारत के पांच राज्यो द्वारा संचालित 638 चाइल्ड केयर संस्थानो में रहने वाले 28 हज़ार बच्चों की देखरेख के लिए 2018-19 में विदेशों से औसतन 2 लाख 12 हज़ार से लेकर 6 लाख 60 हज़ार रुपये मिले,जिसमे से बच्चों 60 हज़ार भी बमुश्किल खर्च किये गए अब आयोग इन सभी एनजीओ के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्यवाही करने का प्लान कर रहा है।गृह मंत्रालय के विदेशी योगदान विनिमयन अधिनियम की वेबसाइट पर आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल,कर्नाटक, और तमिलनाडु के एनजीओ के 2018-19 के आंकड़े जुटाए जिनसे ये बड़ा खुलासा हुआ।बाल आयोग अध्यक्ष प्रिंयंक कानूनगो के मुताबिक बाल संरक्षण योजना के तहत हर बच्चे पर 60 हज़ार रुपये सालाना खर्च किया जाता है ऐसे में एनजीओ द्वारा बड़ी रकम इक्कठी की जा रही है देशभर के एनजीओ के लिए हम अभियान चलाएंगे और उसके मुताबिक जांच और कार्यवाही की जाएगी।
देश के जिन पांच राज्यो में ये बड़ा घोटाला सामने आया है उनके आंकड़े एक नज़र में देखिए।
तेलंगाना-यहाँ 67 चाइल्ड केयर संस्थानों को एनजीओ द्वारा चलाया जाता है जिनमे 3735 बच्चों के लिए 145 करोड़ रुपये दिए गए इस हिसाब से हर बच्चे के लिए सालाना 3.88 लाख रुपये आये।
आंध्रप्रदेश:यहां एनजीओ द्वारा संचालित 145 चाइल्ड केयर संस्थान है जहां 6202 बच्चों के लिए 409 करोड़ मिले प्रति बच्चे पर 6.6 लाख खर्च के लिए मिले।
केरल-यहां तकरीबन 107 संस्थानों को 4242 बच्चों के लिए 85.39 करोड़ मिले, प्रति बच्चे के हिसाब से सालाना 2.01 लाख रुपये आयी।
तमिलनाडु-यहां 247 संस्थानो को 1,1702 बच्चों के लिए 248 करोड़ रुपये मिले हर बच्चे के हिसाब से 2.12 लाख सालाना के हिसाब से ये रकम आंकी गयी।
कर्नाटक-यहां 45 संस्थानों को 3,111 बच्चों के लिए 66.62 लाख रुपये मिले प्रति बच्चे के हिसाब से इस रकम से 2.14 लाख रुपये सालाना मिले।
प्रति बच्चे के लिए जो रकम सालाना मिली उसका आधा भी खर्च नही किया गया।