अपनी बंगाली मातृभाषा को युवा भविष्य से परिचय कराने और जीवित रखने के लिये अध्यापक मजुमदार कर रहे है कड़ी मेहनत

जहां एक तरफ बंगाली समाज में एक मजबूत संगठन का सपना अंधकार की गत में समाता हुआ दिख रहा है तो वही दूसरी ओर बंगाली समाज की संस्कृति और भाषा को समाज के जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाते हुए जिला ऊधम सिंह नगर महानगर रुद्रपुर ट्रांजिट कैम्प के एक अध्यापक ‘एकला चलो’ की नीति पर काम करते हुए बंगाली भाषा और संस्कृति से आम जन मानस का तार्रूफ करा रहे है।


आपको बता दे बाबू मजुमदार पेशे से एक सरकारी अध्यापक है और लम्बे समय से ऊधम सिंह नगर के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे है। बाबू मजुमदार बंगाली समाज और अन्य समाज से जुड़े असहाय लोगो की मदद के लिये हमेशा आतुर रहते है। इन दिनों मजुमदार अपने समाज में आने वाले भविष्य को बंगाली संस्कृति और भाषा से जोड़ने का काम कर रहे है, इसके लिये वो दिन-रात बांग्ला मातृभाषा के प्रचार-प्रसार पर दिल-ओ-जान से लगे हुए है। इस पहल की जानकारी मिलते ही भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष उत्तम दत्ता ने उनके कार्य की सरहाना करते हुए सद्भावना प्रकट की और उन्होने बंगाली मातृभाषा के प्रचार-प्रसार के लिये भी सरहाना करते हुए मजुमदार को साधुबाद दिया। दत्ता ने कहा कि बंगाली समाज में बंगाली मातृभाषा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है जिससे भविष्य में बंगाली संस्कृति को भी खतरा उत्पन्न होता जा रहा है। बंगाली भाषा को जीवित रखने के लिये बाबू मजुमदार द्वारा किये गये प्रयास सरहानिय व अति उत्तम है। आगे उन्होने कहा की वह अपनी ओर से प्रदेश में बंग्ला मातृभाषा सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिये समाज के समस्त बंगाली भाषी लोगो से बात करने के बाद प्रदेश के मुख्यमन्त्री और शिक्षा मन्त्री से बात करेंगे और जल्द ही इसको लागू करने की अपील करेंगे।