आस्था:अधिमास लगने से पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर 165 वर्षों बाद बन रहा है ऐसा महाभियोग

इस साल सभी चीज़े अनोखी हो रही है जहाँ हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता था यानी, पितृ अमावस्‍या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र  का आरंभ हो जाता था लेकिन, इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्‍त होते ही अधिमास लगने वाला है। ऐसा संयोग 165 साल बाद आया है ,इस साल पितृपक्ष एक सितंबर से शुरू होकर 17 सिंतबर तक चलेगा।

सभी श्राद्ध कर्मकांड इस दौरान किए जाएंगे और पितरों को तर्पण भी किया जाएगा,लोग अपने-अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान इस दौरान करते हैं ताकि पितरों का आशीर्वाद उन पर बना रहे।



अधिमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जायेगा, अश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना,165 सालो बाद ऐसा संयोग  होने जा रहा है।इस साल लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है, चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा, 165 साल बाद लीप इयर और अधिमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं।

चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे, इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। इस दौरान देव सो जाते हैं, देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागृत होते हैं,इस साल 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे। इसके अगले दिन अधिमास शुरू हो जायेगा, जो 16 अक्तूबर तक चलेगा,इसके बाद 17 अक्तूबर से नवरात्रि व्रत रखे जायेंगे।

क्‍या होता है अधिमास आइये आपको समझाते हैं।

एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब छह घंटे का होता है, जबकि, एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है, दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, यह अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है, इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिमास का नाम दिया गया है।