इससे घटिया शपथपत्र हमने आज तक नहीं देखा विस्तृत शपथपत्र दोबारा पेश करे सरकार :हाई कोर्ट

नैनीताल 10 मई 2021: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त हो चला है नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक बार फिर से अपना विस्तृत जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं आज मुख्य सचिव ओम प्रकाश समेत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के द्वारा अपना शपथ पत्र कोर्ट में पेश किया गया जिस पर कोर्ट असंतुष्ट दिखा और तल्ख टिप्पणी भी की हाई कोर्ट ने राज्य सरकार समेत स्वास्थ्य सचिव को एक बार फिर से अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं । क्योंकि राज्य सरकार समेत स्वास्थ्य सचिव के द्वारा जो जवाब कोर्ट में पेश किया गया उसमें सरकार के द्वारा स्पष्ट नहीं बताया गया था कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की क्या स्थिति है किस तरह मरीजों को ऑक्सीजन,दवाई, वैक्सीन समेत बेड की सुविधा दी जा रही है।


सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड से ऑक्सीजन की सप्लाई दिल्ली को किए जाने के मामले पर नाराजगी व्यक्त की और सरकार से पूछा है कि उत्तराखंड से ऑक्सीजन की सप्लाई दिल्ली को क्यों की जा रही है कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब उत्तराखंड में ऑक्सीजन की किल्लत होगी तब उत्तराखंड को दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन मंगवानी पड़ेगी लिहाजा ऑक्सीजन दिल्ली ना भेजकर अपने ही अस्पतालों में इनकी सप्लाई की जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उत्तराखंड के कई अस्पताल आज भी बदहाल स्थिति में है मरीजों के लिए बेड,दवा, ऑक्सीजन समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है अस्पतालों में लाशों के ढेर हैं शमशान की उचित व्यवस्था नहीं है जिस वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है याचिकाकर्ता की इस प्रार्थना का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केंद्र सरकार समेत राज्य सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।


वही कोर्ट ने राज्य सरकार समेत स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि उत्तराखंड में जितने भी वेक्सिनेशन नेशन सेंटर बनाए जा रहे हैं उन्हें कोविड अस्पतालों से दूर बनाया जाए ताकि वैक्सीन लगाने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण से मुक्त रखा जा सके कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि आपदा प्रबंधन अधिनियम एक्ट की धारा 50 के तहत उत्तराखंड में लैब, मोबाइल वेन के माध्यम से कोविड जाँच में तेजी लाई जाए ताकि लोगों की कोरोना जाँच जल्द हो सके।

 सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट से कहा भवाली स्थित सेनिटोरियम हॉस्पिटल को कोविड केयर सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे अन्य कोविड अस्पतालों पर दवाव को कम किया जा सकता है। जिसपर कोर्ट ने राज्य सरकार से इसका मुआयना कर सुझाव पर विचार करने को कहा है मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 20 मई तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 मई की तिथि नियत की है। 


आपको बता दे अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटीया  गठित करने के आदेश दिए थे  और कमेटियों से सुझाव माँगे थे।