उत्तराखंड:कर्फ्यू के बाद भी सूबे में कोरोना संक्रमण होता जा रहा हैं बेकाबू स्वास्थ्य विभाग की हालत खराब

सूबे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाया गया कर्फ्यू असरदार साबित नहीं हो रहा। जिस दिन से कर्फ्यू लगाया गया है, उस दिन के बाद से अब तक मौत का ग्राफ भी बढ़ गया है और संक्रमित पॉजिटिव केस भी 68 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। खासकर देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में सवाल यह है कि जब कर्फ्यू का फार्मूला ज्यादा कारगर नहीं रहा तो अब सरकार क्या नया कदम उठाएगी। लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए सोशल मीडिया में पूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में पैरवी शुरू होने लगी है। 


सूबे में दूसरे बार कोरोना महामारी फैलने के बाद पहला कर्फ्यू 26 अप्रैल 2021 को लगाया गया था इस दिन देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रामनगर समेत सात प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगाया था। इसके बाद कई और शहरों में भी सख्ती बढृा दी गई थी। पहले दिन प्रदेश में 5058 नए संक्रमित केस सामने आए थे। जबकि इस दिन 67 लोगों ने जान गवांई थी। सैंपल पॉजिटिविटी रेट 4.31 प्रतिशत था। सूबे में कर्फ्यू  का 11 वां दिन 06 मई 2021 के बाद पाजिटिव केस की संख्या बढ़कर 8517 हो गई। 151 लोगों की मौत हो गई। सर्वाधिक सख्ती वाले देहरादून में इस दिन 3123 पॉजिटिव केस मिले और 106 लोगों की मृत्यु हुई। 26 अप्रैल के आंकड़ों के आधार पर छह मई को संक्रमित केस में 68 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। सैंपल पॉजिटिविटी रेट 5.57 प्रतिशत हो चुका है।


तमाम बंदिशों के बावजूद कोरोना संक्रमण में कमी न होने से सरकार के माथे पर भी गहरे बल पड़े हैं। सरकार और नौकरशाही में एक बड़ा वर्ग पूर्ण लॉकडाउन की पैरवी कर रहा है, लेकिन निर्णय लेने में सरकार हिचक रही है। कोरोना संक्रमण बढ़ने पर कर्फ्यू को कारगर मानते हुए सरकार ने 26 अप्रैल से कर्फ्यू की शुरूआत की थी। लेकिन कर्फ्यू  का बड़ा असर नहीं दिखाई दिया। सड़क-बाजारों पर भीड़ अब भी अब दिखाई दे रही है। कोरोना चेन को तोड़ने के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के इस्मेमाल के प्रति पूरी गंभीरता भी नहीं दिख रही है।