ऐसे कैसे रुकेगा पलायन
उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग की चतुर्थ रिपोर्ट में पलायन की गंभीर स्थिति सामने आई है, पता चला है कि पिछले 10 सालों में अल्मोड़ा के 646 गांवो में 16207 लोगों ने हमेशा के लिए अपने पुश्तैनी घर छोड़ दिए हैं| इसके अलावा 1022 गांव में 53611 लोगों ने अस्थाई रूप से पलायन किया है, यानी कि यह लोग समय-समय पर अपने घर आते रहते हैं| पलायन आयोग के अनुसार कम आय और रोजगार के साधन सीमित होने के चलते लोग अल्मोड़ा से निरंतर पलायन कर रहे हैं| अल्मोड़ा जिले में 73.30 फीसद ग्रामीण परिवार ऐसे हैं जो 5 हजार रुपए महीने से भी कम आय पर अपना गुजारा कर रहे हैं। वहीं 16.24 फीसद परिवारों की आय 5 से 10 हजार रुपए के बीच है,और 10.46 फीसद ही ऐसे परिवार हैं जिनकी आय 10 हजार महीने से अधिक है| आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अल्मोड़ा जिले की प्रति व्यक्ति औसत आय भी 96 हजार 786 रूपये है| इस मुकाबले हरिद्वार जिले की प्रति व्यक्ति औसत आय (2,54050) देखें तो वह ढाईगुना अधिक है| यही कारण है कि लोग जीवन यापन के लिए पलायन करने को विवश हो रहे हैं| पलायन पर नजर डालें तो यहां के सात विकास खंडों में 4.20 फीसद लोग अपने घरों से दूर हो गए| 11विकासखंडों में से सात में आबादी की दर ऋणात्मक होना इसका उदाहरण है| इसमें भिक्यासैंन विकासखण्ड में सर्वाधिक 27.78 फीसद लोग पलायन कर गए हैं| पलायन आयोग के मुताबिक द्वाराहाट विकासखंड में हमेशा के लिए अपने घर को अलविदा कह गए लोगों की संख्या सर्वाधिक 92 है, तो वहीं तीन विकासखंड (सल्ट,लमगड़ा,भिक्यासैंन) में 70 से अधिक लोग हमेशा के लिए पलायन कर गए|