कंकरीट बनते शहर में 120 साल पुराना विद्यालय खतरे की जद में

नैनीताल के रहनुमाओं की बदौलत ये खूबसूरत शहर कंकरीट का जंगल बनता जा बनता जा रहा है ,जिसकी वजह से नैनीताल के पहाड़ आज खतरे की ज़द में हैं ,इसका खामियाज़ा आये दिन नैनीताल को भुगतना पड़ता है।कुछ ऐतिहासिक विरासतें नैनीताल में जर्जर अवस्था में हैं तो अब नैनीताल में लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते 120 साल पुराना विद्यालय जीआईसी भी खतरे की ज़द में आ घिरा है।जियोलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर अब कहीं जाकर जिला प्रशासन सचेत हुआ, और जीआईसी के पास बलियानाला क्षेत्र में रह रहे करीब 65 परिवारों के साथ साथ जीआईसी को भी नोटिस जारी कर विस्थापित होने के आदेश दिये हैं, ताकि आने वाले बरसात के मौसम में और भूकंप के समय कोई भी दुर्घटना इत्यादि ना घटे।

जीआईसी में करीब 200 विद्यार्थी पड़ते हैं जिनकी जान का भी खतरा लगातार बना हुआ था,पर जान की परवाह जिला प्रशासन ने की भी तो अब स्कूल विस्थापन के आदेश से जीआईसी में पढ़ने वाले सभी छात्रों के भविष्य पर तलवार लटक गयी।छात्रों के लिये मानो एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसा प्रतीत हो रहा है।जीआईसी के अलावा छावनी परिषद के प्राथमिक स्कूल और ऑफिस को भी शिफ्ट करने के नोटिस जारी किये गये हैं।पिछले साल बलियानाले में भारी भूस्खलन की चपेट में कृष्णापुर जाने वाली सड़क का मोद भी आ गया था,जिस वजह से आवाजाही भी रूकी और उस जगह रहने वालों के लिये खतरा भी बढ़ा।खतरे के मद्देनजर उस जगह के हरिनगर क्षेत्र के दो दर्जन परिवारों को सरकारी भवनों में शिफ्ट करना पड़ा था।खतरा होने के बाद भी आज करीब आधा दर्जन परिवार अपनी जान हथेली में रख कर वहां रह रहे हैं।नैनीताल के अस्तित्व को खतरे से बचाने के लिये जापान से जायका की टीम ने सर्वे कर नाले के ट्रीटमेंट का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।