क़ोरोना वाइरस से लड़ने के लिए देश को चाहिए 5 लाख पी पी ई किट !!!

कोरोना वायरस का संक्रमण जितनी तेजी से फैल रहा है उतना ही डर लोगों के अंदर भी बढ़ता जा रहा है।कोरोना वायरस का सबसे बड़ा खतरा उन लोगो को होता है जो कोरोना मरीजो के संपर्क में रहते हैं,इस कड़ी में स्वास्थ्य विभाग के लोग सबसे ज़्यादा रिस्क पर होते है,इसका उदाहरण इंडोनेशिया के हैडियो अली का है जिनकी मार्मिक तस्वीरे सोशल मीडिया में तेज़ी से वायरल हो रही है,कोरोना वायरस के मरीजो का इलाज करते हुए वो खुद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए।वही चीन, इटली ईरान,अमेरिका इन सभी देशों के डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम पूरी एहतियात रखने के बावजूद भी खतरे में ही हैं,टीवी ,न्यूज़ पेपर में आपने भी इन सभी को सफेद रंग के फुल बॉडी कवर में देखा होगा जिससे सर से लेकर पांव तक उनका पूरा शरीर ढका रहता है,सिर्फ देखने के लिए आंखों के आगे चश्मा लगा होता है,इस पूरी ड्रेस को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानी पीपीई कहते हैं।सावधानी बरतने के लिए इस फुल बॉडी कवर में भी छिड़काव किया जाना अति आवश्यक होता है,ताकि गलती से भी कोई वायरस शरीर मे ना जाने पाए,इस सूट या ड्रेस को सिर्फ एक ही बार पहना जाता है और इसे उतारने के बाद नहाना ज़रूरी होता है तब जाकर डॉक्टर खुद के कपड़े पहन कर अस्पताल से बाहर आ सकते हैं।इस स्पेशल सूट को पहनने की प्रक्रिया को डोंनिंग और उतारने की प्रक्रिया को डॉफिंग कहते हैं।


सुरक्षा के लिहाज से ये इंतज़ाम बाहरी देशो में तो हो रहे हैं लेकिन भारत मे कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर डॉक्टरों की इन बुनियादी जरूरतों पर सरकार का ध्यान ही नही जा रहा है,जबकि आज देश मे ना तो डॉक्टर ही ज़्यादा है ना चिकित्सकीय कर्मचारी और नर्स ज़्यादा हैं ऐसे में अगर ये लोग भी संक्रमित हो गए तो सोचिए आने वाले वक्त में क्या होगा? देश मे डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कोई इंतज़ाम ही नही है अगर डॉक्टर बेहतर उपकरणों से लैस नही होंगे और कोरोना मरीजों के पास जाकर इलाज करेंगे तो वो खुद सबसे पहले संक्रमित होंगे, जो आज के भारत की सबसे बड़ी सच्चाई है और आने वक्त के लिए एक बड़ी चुनौती भी है।


अब अगर डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण से बचकर रखने वाले सूट की बात करें तो इस वक्त कितने पीपीई देश मे उपलब्ध होंगे? 135 करोड़ की आबादी वाले भारत मे हर दिन पांच लाख से ज़्यादा पीपीई की ज़रूरत है ,और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने जो आर्डर पीपीई के लिए किया है वो मई तक तैयार होंगे जो सरकारी कम्पनी एचएलएल तैयार कर रही है साथ ही मास्क भी आर्डर किये गए हैं।


आज देश मे जो स्थिति स्वास्थ्य विभाग की है वो वाकई चौकाने वाली है,देश के कई शहरों में डॉक्टरों ने काम करने को मना कर दिया जिसकी बड़ी वजह ज़रूरी दस्ताने,और मास्क का उपलब्ध ना होना है।इसका एक उदाहरण भागलपुर मेडिकल कॉलेज और पटना मेडिकल कॉलेज का जहां डॉक्टरों और मेडिकल  छात्रों के होश ही उड़ गए जब उन्हें पता चला कि बिना सुरक्षित उपकरणों के उन्हें मरीजो का इलाज करना है,क्या सरकार को ये बात नही पता थी? और थी तो क्या सरकार जानबूझकर उन्हें मौत के मुहं में धकेल रही थी।


जनवरी से लेकर अब मार्च तक स्वास्थ्य विभाग की सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या किया?सोशल मीडिया में डॉक्टरों और नर्सो को थैंक्यू बोलना बड़ा आसान है,पर क्या इतना काफी है? ज़मीनी हकीकत तो ये है कि आज भारत के पास डॉक्टरों और नर्सो के लिए सुरक्षा के उपकरण हैं ही नही,ऐसे नाजुक मामलों में आज गिने चुने वेबपोर्टल,या न्यूज़ चैनल ही कुछ बोलते दिखाई देंगे ,इसकी वहज भी शायद कोई खास प्रोपेगैंडा हो,लेकिन इसकी भी तो एक सीमा होती है,पूरे ढाई महीने बीत चुके है,भारत मे कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को सामने आया,31 जनवरी को विदेश व्यापार निदेशालय ने हर तरह के पीपीई के निर्यात पर रोक लगा दी,हालांकि 8 फरवरी को इस मामले में कुछ संशोधन भी किया गया था,और सर्जिकल मास्क और दस्तानों के ही निर्यात की अनुमति दी गयी थी।इस बीच सरकार चाहती तो देश की ही किसी कम्पनी को पीपीई,मास्क और दस्तानों का आर्डर दे सकती थी,लेकिन ऐसा नही किया गया।

कोरोना वायरस का बढ़ता खतरा और सुरक्षा के इंतज़ाम खोखले आने वाले समय के लिए एक बड़ी चेतवानी है।