किसान आंदोलन : गाजीपुर बार्डर को किसानो ने पूरी तरह से किया बंद केवल अंबुलेंस को दी है छूट

किसान आंदोलन : नए कृषि बिलों को रद्द करने की मांग पर पिछले 27 दिनों से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों पर आंदोलन कर रहे किसानों ने आज दिल्ली-गाजियाबाद को जोड़ने वाला गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह से बंद कर दिया है यह बार्डर सिक्स लेन का है जो अभी तक पूरी तरह बंद है किसानों ने सिर्फ एंबुलेंस के लिए बार्डर को मुक्त कर रखा है । अभी तक ये किसान गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले रास्ते पर धरना देकर बैठे थे लेकिन आज इन्होंने दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाले रास्ते को भी बंद कर दिया इन किसानों में मुख्य रूप से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए किसान है ।  


गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह से बंद करने से दिल्ली से मेरठ एक्सप्रेस-वे होते हुए गाजीपुर गाजियाबाद की तरफ जाने वाला ट्रैफिक रुक गया है । बॉर्डर के दोनों तरफ गाड़ियों का लंबा जाम लग गया है ।किसानों के रास्ता बंद करने से दिल्ली-गाजियाबाद आने-जाने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । पुलिस ने यातायात रूट को गाजियाबाद शहर के अंदर से घुमाया है । गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले वाहनों को अब आनंद विहार, भोपुरा, डीएनडी जैसे रास्तों से आना पड़ रहा है ।किसानो का कहना है कि गाजीपुर बार्डर पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों में किसानों कि संख्या 1 लाख से अधिक है और अन्य जगह से आने वाले किसानों को गाजीपुर बार्डर तक भी नहीं पहुँचने दिया जा रहा है किसानों को पुलिस प्रशासन रामपुर मुरादाबाद मेरठ आदि के बार्डर पर ही रोक लिया जा रहा रहा है जिस कारण किसानों ने  6 लेन को पूरी तरह बंद कर दिया है और किसानों का कहना है कि जब तक हमारे अन्य किसान भाइयों को गाजीपुर बॉर्डर तक नहीं आने दिया जाएगा तब तक 6 लेन बंद रहेंगी और अगर किसानो को प्रदर्शन के लिए आने दिया जाएगा तो 3 लेन खोल दी जाएंगी । 


गाजियाबाद के एडीएम ने किसानो से वार्ता कि जिसमें किसानो ने स्पष्ट कर दिया कि पहले हमारे किसान भाइयों को गाजीपुर बॉर्डर तक आने दिया जाए तब ही हम हाइवे को खोलेंगे ।गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि कृषि मंत्री ने किसानों से बातचीत की बात कही थी, लेकिन उन्हें बातचीत के लिए किसी भी तरह का को निमंत्रण नहीं मिला  लिहाजा जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है,तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे ।