कोरोना की ज़िंदगी कहाँ पर कितनी होती है ये ज़रूर जान लें।

भारत सरकार की तरफ़ से जारी एडवाइज़री के मुताबिक़, कोरोना वायरस के ख़तरे को देखते हुए हेल्थ इमरजेंसी के तहत पूरे देश को ही पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया है।21 दिन का लॉक डाउन कोरोना वायरस के फैलाव का सर्किट ब्रेक करने के लिए ज़रूरी है।अब आपको बताते हैं कि कोरोना वायरस किस जगह कितनी देर तक जीवित रह सकता है,लॉक डाउन का इससे क्या असर पड़ेगा।आगे पढ़ने से पहले ध्यान दें अगर आपने पिछले एक घंटे से हाथ नही धोए तो धो लीजिये क्योंकि खबर पढ़ने के बाद आप ज़रूर हाथ धोने जाएंगे।

दरअसल वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार हाथ के साथ हवा भी साफ रखनी ज़रूरी है।अब तक तो आपने यही सुना होगा कि कोरोना वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से ही फैलता है या कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये हुए व्यक्ति से अगर आप मिले हो तो भी संक्रमण फैलता है।थोड़ा और डिटेल में जाते है,सीएनबीसी की एक खबर के मुताबिक डब्लूएचओ से जुड़ी मारिया वान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर ऐरोसाल बन जाता है यानी हवा में पानी का बादल और अगर उसमे कोरोना वायरस मौजूद है तो ये हवा में लंबे समय तक मौजूद रह सकता है जिससे ज़्यादा लोगो के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है, अब सवाल ये कि ऐसे बादल कैसे पैदा हो सकते है? सीधी सी बात है भैया आप खांसते हो,छींकते हो तो आपके शरीर से तरल पदार्थ की छोटी छोटी बूंदे हवा में मिल जाती है जो ऐसे ना दिखने वाले बादल बना देती हैं।

कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक इस जांच में लगे हुए हैं कि कोरोना वायरस कितने दिनों तक किस पदार्थ में जिंदा रह सकता है,कुछ वैज्ञानिक इस नतीजे पर भी पहुंचे कि कोरोना वायरस प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील पर तांबे और गत्ते की तुलना में ज़्यादा समय तक जिंदा रह सकता है।मतलब आपकी रसोई और आपके घर के कई सामानों पर कोरोना वायरस आपके ही सामने कब्जा जमा लेगा।प्लास्टिक और स्टील पर कोरोना वायरस 72 घण्टे तक या उससे भी ज़्यादा समय तक जिंदा रह सकता है,जबकि तांबे और गत्ते पर 4 से 24 घण्टे तक कोरोना वायरस की ज़िंदगी होती है।

अगर किसी सतह पर या हवा में कुछ घंटों बाद कोरोनावायरस नहीं मिलता है, तो इसका मतलब ये नहीं निकाला जा सकता है कि वायरस ही मिट गया. या वायरस किसी को इंफ़ेक्ट नहीं कर सकता है, वायरस किस मात्रा में मौजूद है, उस समय का तापमान क्या है? हवा में नमी कितनी है? मौसम-माहौल कैसा है? इस पर भी वायरस की ज़िंदगी निर्भर है. साथ ही हमारे और आप द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों पर वायरस कब और कितनी देर मौजूद रहेगा, इस पर भी शोध सामने नहीं आया है, लेकिन अनुमान लगाए जा रहे हैं, कि कपड़ों का भी गत्ते वाला हाल होगा,24 घंटे के आसपास की लाइफ़साइकल हो सकती है।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का अभी तक कोई पुख्ता इलाज सामने नहीं आया है, इससे बचने का एक ही रास्ता है कि आप खुद को संक्रमि‍त व्यक्ति से बचाव करें,इसलिए पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया है। देश में जिस तरह से लगातार संक्रमित व्यक्ति‍यों की तादाद बढ़ रही है उसे देखते हुए आप अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आएं।जितने दिन आप अपने घर पर रहोगे उतना ही आप हवा,बाहर की स्टील,प्लास्टिक और संक्रमित व्यक्ति इत्यादि के सम्पर्क से दूर रहेंगे,और तब तक जिस जगह कोरोना वायरस होगा वो ज़िंदा नही होगा। लॉकडाउन ही इस वक्त एक ऐसी हेल्थ एमरजेंसी व्यवस्था है जो आपको और आपके पूरे परिवार को कोरोना की महामारी से बचा सकती है।