गैरसैंण के इस युवा ने कर दिखाया कुछ ऐसा कि हर जगह हो रही है तारीफ

उत्तराखंड के युवा आखिर क्या नहीं कर सकते। यहां रहने वाले युवा एक से बड़ी एक मिसाल खड़ी कर रहे हैं। दूसरे युवाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल युवा चाहे तो अपनी तकदीर खुद संवार सकते हैं। इसके लिए उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। एक ऐसी ही मिसाल कायम की है गैरसैंण के एक युवक ने।गैरसैंण के सिलंगा गांव के हरेंद्र शाह ने लॉकडाउन के दौरान अपने बंजर खेतों को आबाद कर दिया। उसने न सिर्फ अपनी राह आसान की बल्कि दूसरे युवाओं को भी राह दिखाने का काम किया है। हरेंद्र शाह ने अपने बंजर खेतों को जोतकर उनमें सब्जी का उत्पादन शुरू किया। देखते ही देखते ऐसी पैदावार हुई कि उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है। आज ये युवा सबकी प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

हरेंद्र ने देहरादून के डीएवी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की। वो गणित ग्रुप से बीएससी पास हैं। ग्रेजुएशन की डिग्री के बाद हरेंद्र शाह के सामने कई विकल्प थे लेकिन उन्होंनवे पहाड़ का रुख किया और जो मिसाल पेश की है उसे सब देख रहे हैं। हरेन्द्र का कहना है कि वो हमेशा चाहता था कि पहाड़ में ही कुछ किया जाए ताकि नौकरी की जरूरत न पड़े। अपने सपने को साकार करने के लिए उसने सब्जी उत्पादन की ठानी।हरेंद्र ने बताया कि उन्होंने जैविक खेती का ही लक्ष्य रखा और आज वे कामयाब हैं। हरेंद्र ने यहां पॉलीहाउस बना रखा है। उसका कहना है कि वो रोज सुबह पांच बजे अपने पॉलीहाउस में चला जाता है और शाम करीब सात बजे तक यहीं काम करता है। हरेंद्र का कहना है कि एक साल पहले उसने इस काम में एक लाख रुपये की पूंजी लगाई और आज अच्छी खासी आमदनी हो रही है। हरेंद्र ने अपने इस काम में गांव के चार दूसरे युवकों को भी रोजगार दे रखा है।

हरेंद्र का कहना है कि अपने गांव सिलंगा में खिल नामक स्थान पर बंजर पड़ी दस नाली जमीन पर उसने दो पॉलीहाउस लगाए। उसके साथ उसके पूरे परिवार ने इस बंजर भूमि को आबाद करने में उसका साथ दिया। आज उसका परिवार इसी खेती से जुड़ा है। हरेंद्र का कहना है कि वो इस खेती को बड़े स्तर पर ले जाना चाहता है और इसके लिए दिन रात मेहनत कर रहा है। सब्जी उत्पादन के साथ साथ डेरी, कुकुट, मत्स्य, मशरूम, कीवी उत्पादन के जरिए मल्टी व्यवसाय को भी वह प्राथमिकता दे रहा है। इससे वो दूसरे युवाओं को भी रोजगार दे सकेगा।