जंगलो में आग समय से पहले

बागेश्वर जनपद के कई रैंजो में जंगल आग से दहल रहे  हैै। लेकिन विभाग अनजान बना हुआ है। हर बार कंट्रोल बर्निंग का नाम लेकर बहाना बनाया जा रहा है। जबकि मामला कुछ और हैं। वन विभाग और सरपंच संगठन के बीच आपसी ताल मेल न होने के कारण इस वर्स फायर सीज़न समय से पहले शुरू कैसे हो गया ये एक बड़ा सवाल वन विभाग की कार्यशैली पर बन रहा है। इससे पिछले माह जनवरी के इन्ही जंगलो में आग लगी औऱ अब दूबारा से तिलसारी के जंगल आग से दहल रहे है। विभाग कर्मचारियो कम होने की बात कर रहा है। अब सवाल ये उठता क्या यूँही लगातार जंगल जलते रहंगे विभाग की क्या जिम्मेदारी नही बनती इनको बचाने की ग्रामीणों की सूचना पर विभाग को पता चल रहा है। जंगल जल रहे है।


वही ग्रामीण का कहना है। कई बार फ़ोन करने के बाद भी वन विभाग के कर्मी नही पहुंचे तिलसारी के जंगल रात भर जलते रहे। अभी भी आग से जल रहे है। शायद विभाग को बारिश का इंतजार है। वहीं इस आग से जंगली जानवरों का अब

रिहायशी इलाकों में आने का ख़तरा बन रहा है । साथ हीहरे पेड़ पौधे भी जल कर खाख हो रहे हैं ।


इस मामले वनाधिकारी ने बताया कि  जिले में कुछ रंजो में इस समय आग लग रही है क्यूँकि मौसम परिवर्तन की वजह से पेड़ो के पत्ते सुख क्र गिर रहे है।  राहगीरों द्वारा बीड़ी सिलाई से से आग जंगलों में फैल रही है  जिससे हमारे द्वारा कण्ट्रोल किया जा रहा है।  वहीँ तिलसारी के जंगलो में जो आग लगी है उसे भी  वनविभाग के फायर वाचारो और ग्रामीणों की मदद से कन्ट्रोल किया जा रहा है। 


उत्तराखण्ड में हर साल जंगल जलते है औऱ करोड़ों की वनसम्पदा खाक हो जाती है।विभाग नए नए बहाने बनाते रहते है। कंट्रोल बर्निंग के नाम पर लंबा बजट खफया जाता है। क्या यही सिलसिला लगातार बने रहेगा हर वर्ष।