जब महिलाओं को मिलता ही नहीं है सुरक्षा और सम्मान, तो क्यों होता है दिखावा ?

हमारे देश महिलाओं को शक्ति के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म के अनेकों त्योहार में महिलाओ को देवीओ के रूपों में पूजा अराधना की जाती है और उनकी शक्ति, सौंदर्य, शौर्य और वैभव को नमन किया जाता है। विशेष कर नवरात्रि के आखिरी दिन यानि नवमी को कन्या पूजन करने की मान्यता है। लगभग हर घर में इस दिन कन्याओं को देवी दुर्गा मां का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है, भोग लगाया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है। हम बच्चियों, महिलाओं को मां देवी का रूप मानते हैं, लेकिन त्यौहार का दिन बीतते ही हमें क्या हो जाता है ?


बाकी दिन हम महिलाओं को ना तो घर में सम्मान देते हैं, और ना ही बाहर सुरक्षा। अगर वह रात में सड़क पर अकेले चल रही है तो उसे पब्लिक प्रॉपर्टी मान लिया जाता है, घर में एक दिन रोटी जला देती है तो उसे अपनी मर्दानगी का सबूत दिया जाता है, अगर समाज के नियमों को मानने से इनकार कर देती है तो उसे नकचढ़ी का नाम दे दिया जाता है, अगर वह अपने फैसले खुद लेने लगे तो कह दिया जाता है कि ‘लड़की हाथ से निकल गई’ और अगर वह कहीं गलती से अपने अधिकारों और सही के लिए आवाज उठा दे तो लोग कहते हैं कि ‘इसके तो पर निकल गए हैं।


हमारा देश जहां विश्व गुरू बनने के सपने देख रहा है, वहां आज भी महिलाओ की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। आधुनिकता की दौड़ में अव्वल रहने की होड़ में शामिल, देश की महिलाओ के खिलाफ दिन-प्रतिदिन बढ़ते जघन्य अपराधों के आंकड़े चैंकाने वाले हैं। सामाजिक असुरक्षा का भाव हो या महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखने की साजिश, दोनों ही स्थितियों में कोई खास बदलाव पिछले 75 वर्षो में नजर नहीं आया हैं। यहां तक कि, वैदिक युग में भी महिलाओ को पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त थे। उन्हें हर प्रकार का तप, पूजा पाठ, यज्ञ करने और शिक्षा हासिल करने की आजादी थी।  


इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ दशकों में महिलाओ की सरकारी, गैर-सरकारी, प्रशासनिक ,रक्षा-मेडिकल, कला आदि क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ी हैं। उनके अधिकारों का कानूनी एवं राजनैतिक संरक्षण सरकारों द्वारा सुनिश्चित किया गया हैं। तेजी से बदलते सकारात्मक सामाजिक नजरिये की बात हो या लगातार सुधरते शैक्षिणिक स्तर की या फिर खेल प्रतिस्पर्धाओं में प्रतिभागिता की, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ते दिखती हैं लेकिन यह उनकी मेहनत और कभी ना हार मानने के कौशल का नतीजा है। 


इन सब के बावजूद देशभर में बेटियां आज भी अनेक धार्मिक रीति रिवाजों, कुरीतियों, यौन अपराधों, लैंगिक भेदभावों, घरेलू हिंसा, निम्नस्तरीय जीवन शैली, अशिक्षा, कुपोषण, दहेज उत्पीड़न, कन्या भ्रूण हत्या, उपेक्षा और तिरस्कार की जंजीरों में जकड़ी हुई हैं। हर रोज हम ना जाने कितने ऐसे मामले पढ़ते और सुनते हैं जिनमें महिलाओं की इज्जत और अस्तित्व को तार-तार कर दिया जाता है और ये घटनाएं दिल को झंझोड़ देती हैं।


हमारे देश का दुर्भाग्य है कि अक्सर ऐसी घटनाओं में वह लोग जुड़े होते हैं जो अक्सर लंबे चैड़े भाषण देकर महिला सम्मान और सुरक्षा को जमीन से आसमान तक पहुंचाने के लंबे चैड़े वादे करते हैं । देश में ऊंची राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक पहुँच रखने वाले लोगों सदैव ही सार्वजनिक रूप से उनसे जुड़ी कुछ बताएं  सामने आती है तो धरातल पर महिला सम्मान और सुरक्षा की बात अक्सर खोखले नजर आती है और ऐसी घटनाओं से अक्सर इंसानियत शर्मसार होता है।


पिछले कुछ दिनों से ऊधम सिंह नगर जिले में भाजपा नेता की पत्नी की संदिग्ध मौत का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। आरोप है कि सत्ता दल से जुड़े एक भाजपा नेता की पत्नी घरेलू हिंसा का शिकार हुई है इस घटना में स्थानीय कुछ भाजपा के बड़े नेता आरोपी पति जो भाजपा से जुड़ा है उसकी हर संभव मदद करने में तुले हुए हैं। इसके बाद स्थानीय लोगों में सत्ता दल के नेताओं के खिलाफ काफी रोष पनप रहा है स्थानीय लोग लगातार महिला को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतर गए हैं रोजाना कैंडल मार्च ,आंदोलन के माध्यम से मृतक महिला के लिए इंसाफ मांगा जा रहा है। 


आपको बता दे ऊधम सिंह नगर के सितारगंज विधानसभा शक्तिफार्म में भाजपा नेता अरुण बैरागी की पत्नी का शव कमरे में फंदे पर लटका मिला था जिसके बाद मृतिका के भाई प्रशान्त मंडल ने पुलिस को तहरीर देकर पति समेत चार लोगों पर बहन की हत्या का आरोप लगाया था। शुरुआती दौड़ में पुलिस ने भी भाजपा नेताओं के दबाव में आरोपी को हर संभव मदद की थी, मामले ने तूल पकड़ा और विपक्ष के नेताओं ने पुलिस पर आरोप लगाया जिसके बाद ऊधम सिंह नगर के मित्र पुलिस के मुखिया ने मामले को गंभीरता से लिया और उनके द्वारा पुलिसकर्मी को मामले की सही तरीके से जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए। एस.एस.पी. के आदेश के बाद एस.पी. ममता पुराने मामले में मोर्चा संभालते हुए कक्षा कोतवाल चंद्रमोहन सिंह को मामले की जांच करने के आदेश दिए उधर सी.ओ. मनोज ठाकुर ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के खिलाफ हत्या के आरोप में दर्ज मुकदमे में आई.पी.सी. धारा 302 को परिवर्तित कर 306 आत्महत्या करने के लिए उकसाने के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है और आरोपी भाजपा से जुड़े पति को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जल्द ही इस मामले में न्यायालय में सभी आरोपियों को पेश किया जाएगा। ऐसे में आरोपी के गिरफ्तारी के बाद भी लोगो के मन में यह सवाल उठ रहे है कि आखिर आरोपी पति के साथ अन्य आरोपियों को भी इस मामले में सजा मिलेगी या नही? 


यह सवाल अपने आप में महिला सम्मान और सुरक्षा को गहरा ठेस पहुंचाता है। आखिर कब तक देश में महिला सम्मान और सुरक्षा के नाम पर लम्बे चैड़े भाषण के साथ बड़े-बड़े दावे किये जायेंगे। जब धरातल पर महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान सही मायने में प्राप्त होगा, तभी हमारे देश में महिला शक्ति को देवीयों के रूप में पूजे जाने का सही सार्थक सिद्ध होगा।