ट्रांजिट कैम्प थाना बना स्थानीय नेताओं के कमाई का अड्डा

जिला मुख्यालय महानगर रुद्रपुर के ट्रांजिट कैम्प थाना कुछ राजनैतिक लोगो के कमाई का अड्डा बन चुका है, मामले को रफा दफा करने के लिये पुलिस की आढ़ में नेताओं ने महानगर रुद्रपुर के सबसे ज्यादा आबदी क्षेत्र के थाना ट्रांजिट कैम्प को कमाई का जरिया बना लिया है। छोटे और बड़े  विवादों में ट्रांजिट कैम्प के स्थानीय नेता पुलिस के नाम पर कानूनी कार्यवाही का भय दिखाकर दोनो पक्षो से मोटा पैसा वसूलते है।

एक तरफ मित्र पुलिस के प्रदेश महानिदेशक अशोक कुमार और जिला ऊधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर लगातार पुलिस की छवि को सुधारने की कवायद के मद्देनजर अपने अधीनस्थ के पेंच कसते नजर आते है तो वही जिला मुख्यालय महानगर रुद्रपुर के औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल लगने से चौकी से थाने में तबदील ट्रांजिट कैम्प में नेताओं और दलालो की आओभगत के कारण ट्रांजिट कैम्प थाने में आने वाले फरियादी को नेता और दलाल अपना शिकार बनाते है और कानूनी कार्यवाही का भय दिखाकर फरियादी से (पक्ष और विपक्ष) बचाने के नाम पर मोटा पैसा वसूलते है। 

आवाज़ इंडिया के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार के  कांग्रेस और बी.जे.पी. के कई नेता चुनावी खर्च में लगे पैसे को थाने-चौकियों के फरियादियों से वसूलते है । इसमें मित्र पुलिस के कुछ पुलिसकर्मियों की भी मिली भगत होती है। फरियादी से ली गई धनराशि का कुछ हिस्सा पुलिस कर्मियों को चाय-पानी के नाम पर दिया जाता है ताकि मामले को सुलझाने में कोई भी दिक्कत ना आये। ट्रांजिट कैम्प थाने के पुलिसकर्मियों की इन्ही हरकतों के कारण जनता के सामने मित्र पुलिस की छवि लगातार धूमिल हो रही है। 

ट्रांजिट कैम्प थाने में आओभगत और मिलीभगत के कारण स्थानीय नेता मामले को सुलझाने और निपटाने के नाम पर थाने में आने वाले फरियादियों से मोटी रकम वसूलकर फरियादियों की जेब ढ़ीली कर देते है। नेताओं और दलालों की इन्ही हरकतों से ट्रांजिट कैम्प की छवि लगातार धूमिल हो रही है। आज थाने में अपनी फरियाद लेकर आने में फरियादी हिचकिचाते है, इतना ही नही थाने में आने वाले फरियादियों से मित्र पुलिस का व्यवहार भी नकारात्मक रहता है, ट्रांजिट कैम्प पुलिस जानबूझ कर फरियादियों से बदसलूकी करती है जिसके बाद मजबूरन फरियादियों को अपनी बात थाने में रखने के लिये नेताओं और दलालों का सहारा लेना पड़ता है जिसका वह लोग फायदा उठाते है और मदद के नाम पर फरियादियों से एक मोटी रकम वसूलते है ।

उत्तराखंड में पुलिस के ऐसे पुलिसकर्मियों को एक बार फिर वो शपथ याद करने की जरूरत है जब वो जनता की सुरक्षा के लिए पुलिस की वर्दी को धारण करता है और वो शपथ केवल बातों में नही धरातल पर नजर आनी चाहिए ताकि जनता को विश्वास हो कि उत्तराखंड की मित्र पुलिस वास्तव में फरियादियों की मित्र ही है जो कानून के दायरे में रह कर  आम जनता और पीड़तों के साथ न्याय करती है ।