नैनीताल:कोरोना महामारी के चलते चिड़ियाघर में रखे जानवरों के भरण पोषण की समस्या हुई पैदा करोड़ो का हो रहा है नुकसान
नैनीताल पर्यटन को लेकर केवल देशभर में ही नही बल्की विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है नैनीताल के पर्यटक स्थल साल भर पर्यटको को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं,लेकिन कोरोना महामारी के चलते ये पर्यटक स्थल वीरान पड़े हैं जिसकी वजह से करोड़ो रुपयों का नुकसान हो रहा है।आज हम बात कर रहे हैं कोरोना की वजह से करोड़ो का नुकसान झेलने वाले नैनीताल के प्रसिद्ध चिड़ियाघर की जो उच्च श्रेणी प्राणी उद्यान होने के बावजूद सुनसान पड़ा है। नैनीताल जू में कई ऐसे प्राणी है जो तराई क्षेत्रों के प्राणी उद्यानों में नहीं रखे जा सकते हैं, इन प्राणियों को देखने के लिए लोगों में खासी उत्सुकता बढ़ जाती है यही कारण है कि नैनीताल आने वाले पर्यटकों की जू ही पहली पसंद है।रेड पांडा ,मारखोर जोकि पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु है, ब्लू सीप हिमालयन भालू ,स्नो लेपर्ड, मोनाल, और कई प्रकार की फीजेंट नैनीताल जू में देखने को मिलती हैं ।नैनीताल जू में आये पर्यटकों और उनसे होनी वाली कुल आय की अगर बात करें तो
2011-12 में -2 लाख 24 हजार पयर्टक
कुल आय- 5438080
2012-13 में -2 लाख 21 हजार 292 पयर्टक।
कुल आय - 7152740
2013-14 में -1 लाख 71 हजार 160 पर्यटक
कुल आय - 8006420
2014- 15 में - 2 लाख 26 हजार 747 पर्यटक।
कुल आय -10312430
2015- 16 में -2 लाख 78 हजार 893 पर्यटक
कुल आय- 12757880
2016-17 में -3 लाख 01 हजार 290 पयर्टक
कुल आय -13736220
2017-18 में -3 लाख 23 हजार 661 पर्यटक।
कुल आय -15745720
2018- 19 में -2 लाख 62 हजार 375 पर्यटक
कुल आय -24118600
2019- 20 में -2 लाख 51 हजार 692 पर्यटक
कुल आय -23377750 रही।
लेकिन अब वैश्विक महामारी कोरोना का असर नैनीताल के उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान के प्राणियों पर भी पड़ने लगा है। पर्यटकों के लिए ज़ू खुलने के बावजूद इक्का दुक्का पर्यटक ही जानवरों का दीदार करने प्राणी उद्यान में पहुच रहे है जिसके चलते प्राणी उद्यान को करोडों का घाटा उठाना पडा है,जिससे ज़ू प्रशासन के सामने प्राणी उद्यान में रखे जानवरों के भरण पोषण की समस्या पैदा हो गई हैं। प्रभागीय वन अधिकारी टी आर बीजुलाल ने बताया बीते वर्षों में 3 से 4 लाख तक प्रतिदिन आय होती थी और 3 से साढ़े तीन लाख पर्यटक ज़ू पहुचते थे, लेकिन कोविड 19 के कारण इस बार ज़ू प्रशासन को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पडा है। उन्होंने कहा कि ज़ू संचालन के लिए 16 लाख से 20 लाख ₹ प्रतिमाह खर्च आता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण प्राणी उद्यान को हुई राजस्व की हानि से रखरखाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है हालांकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार से सहायता मिली रही है।