नैनीताल नवरात्रि स्पेशल : नवरात्र के अंतिम दिन पाषाण देवी मंदिर में मास्क पहने नजर आए भक्तगण क्यों प्रसिद्ध है ये मंदिर जानने के लिए लिंक में क्लिक करें

आज नवरात्र के अन्तिम दिन जगह-जगह धार्मिक आयोजन किये गये वही नैनीताल के पाषण देवी मन्दिर पहुचकर श्रद्धालुओं द्वारा भी मन्दिर में विधि विधान से पूजा अर्चना की गयी। आज दो बजे बाद बाजार बंद के आदेश थे ऐसे में बाजार तो पहले ही बन्द हो गए लेकिन मंदिर इत्यादि खुले रहे भक्तों का आना जाना मंदिरों में लगा रहा साथ ही सभी भक्त मास्क और सेनिटाजर का प्रयोग करने के साथ ही सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते नजर आए। 


आपको बता दें कि नवरात्रि में मां पाषाण देवी मंदिर में देवी के 9 रूपो के र्दशन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है और मां भक्तों द्वारा मागी गई की मन्नतें को भी पूरी भी करती है। नैनीताल का पाषाण देवी मंदिर जो नैनीझील की किनारे बसा है प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण ये मंदिर नैनीताल वासियों के लिए खासा महत्व रखता है और नव रात्री के पावन पर्व में यहा भक्तो का तांता लगा रहता है, विशेष तौर पर नवरात्री के नवे दिन इस मंदिर का महत्व और भी बढ जाता है क्योंकि नैनीताल के इस मंदिर में माॅ भगवती के 9 रूपो के दर्शन होते है,जिसके लिए भक्त सुबह से ही माॅ पाषण देवी के मंदिर मे आने शुरू हो जाते है और ये सिलसिला शाम तक जारी रहता है और माॅ के भक्त दशनों के लिये दूर-दूर से माता के दरबार में आकर मन्नतें मांगते हैं। 


पाषाण देवी मंदिर की विशेषता यह है कि झील के पत्थर में माँ की कुदरती आकृति बनी है और इसमें पिंडी के रूप में माता के नौ रूप हैं। देवी शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, देवी कूष्मांडा, शिवपुत्र कार्तिकेय, देवी कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी की आकृति है। माता को सिंदूर का चोला पहनाया जाता है, माता की पादुकाएं झील के भीतर हैं। इसलिए झील के जल को कैलाश मानसरोवर की तरह पवित्र माना जाता है। इस नैनी सरोवर के जल को लोग घर भी लेकर जाते हैं। माना जाता है जल को घर में रखने से घर में सुख शांति बनी रहती है। पाषाण देवी मंदिर में माँ का श्रृंगार सिंदूरी के चोले से किया जाता है। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार व हरनवरात्र पर मां को चोली पहनाने की परंपरा है।


माता की नवदुर्गा के रूप में वैष्णव विधि से पूजा होती है। हर दस दिन में माता को शंख के जल से स्रान कराया जाता है। इस जल को लेने दूर-दूर से लोग आते हैं। कहा जाता है कि इस जल के सेवन और स्रान से मनुष्य का हकलाना, जोड़ों में दर्द, सूजन समेत तमाम बीमारियां दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि मां का चेहरा धुले पानी से समस्त त्वचा रोगों के साथ ही अतृप्त व बुरी आत्माओं के प्रकोप भी समाप्त हो जाते हैं,नवरात्रि में पूजा अर्चना करे से मां भक्तों द्वारा मागी गई की मन्नतें को भी पूरी करती है।