नैनीताल : बैंडिट क्वीन प्यार किया तो डरना किया दायरा और इस रात की सुबह नही जैसी फिल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले नैनीताल के बेटे स्वर्गीय निर्मल पांडे की आज है पुण्यतिथि

18 फरवरी 2010 को प्रतिभावान अभिनेता निर्मल पांडे की आकस्मिक हुई मौत की वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री और नैनीताल में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी, नैनीताल के निर्मल पांडे ने अभिनय के क्षेत्र में सिर्फ भारत ही नही बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई थी,आज उनकी 11 वीं पुण्यतिथि पर उनके भाई मिथिलेश पांडे द्वारा हर साल की तरह निर्मल पांडे को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राम सेवक सभा मल्लीताल नैनीताल में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें नैनीताल के बेटे को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।


निर्मल पांडे की मृत्यु 18 फरवरी 2010 को हुई थी,22 फरवरी को मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के साथ उन्होंने अपनी फिल्म "लाहौर" की स्पेशल स्क्रीनिंग देखने की प्लानिंग की थी पर किसी ने ये सोचा भी नही था कि 22 फरवरी के आने से पहले ही वो सबको अलविदा कह जाएंगे।लाहौर फ़िल्म निर्मल पांडे की आखिरी फ़िल्म थी।निर्मल पांडे एनएसडीसी के सबसे चहिते स्टूडेंट रहे थे।


1996 में "दायरा" फ़िल्म में एक हिजड़े का किरदार निभाकर उन्होंने ये साबित कर दिया था कि  कलाकार की कोई सीमा नही होती ,इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ्रांस में फ़िल्म महोत्सव पुरुस्कार भी मिला था।इसी साल उन्होंने "बेंडिट क्वीन" में बड़ा ब्रेक मिला,इस फ़िल्म में विक्रम मल्लाह की यादगार भूमिका ने सबके दिल जीत लिए,जिसके बाद वो रुके नही उनका कैरियर सफलता की ऊंचाइयों को छूने लगा और एक के बाद एक बड़े बजट की फिल्में उनकी झोली में आने लगी।"इस रात की सुबह नही", प्यार किया तो डरना क्या,गॉड मदर,ट्रेन टू पाकिस्तान,शिकारी,औजार, जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।निर्मल पांडे ने 2002 में "जज़्बा" नाम की एक एलबम भी लांच की थी।उन्होंने 125 से ज़्यादा थिएटर और नाटक अलग अलग देशो में किये,इसके अलावा उन्होंने धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध नाटक "अंधायुग"को भी निर्देशित किया था।निर्मल पांडे का करियर जब ऊंचाइयों पर था तभी उनकी आकस्मिक मौत हो गयी,आज उनकी पुण्यतिथि पर समूचा नैनीताल उन्हें याद कर रहा है।