नौनिहालो में संस्कृति के अनोखे रंग भरती फूलदेई

उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति और रीति रिवाजो भले ही आज विलुप्ति की कगार पर खडे हो लेकिन सदियो से चली आ रही फूलदेई की परम्परा नौनिहालो में आज भी कायम है प्रकृति प्रेम का आभार जताने के लिए छोटे छोटे बच्चे चैत्र माह के शुरुवाती दिन से और आज बैशाखी पर्व तक पूरे माह में हर दिन अपने गांव के घरो की चौखट और दहलीजो में रंग बेरंगे फूल डाला करते हैं जिससे हर किसी का जीवन खुशहाली से भर जाए घरो की चौखटो को रंग बिरंगे फूलो से सजाने के लिए छोटे छोटे ये नौनिहाल दूरदराज के जंगलो से हर किस्म के फूल तोड़कर लाते हैं और सुबह सुबह हर किसी के आँगन को इन फूल से महका देते हैं फूलदेई त्योहार उत्तराखंड के प्रकृति परम्परा और सामाजिक, सांस्कृतिक से जुड़ा एक पर्व है, दरअसल पहाड़ी लोगों का जीवन प्रकृति पर बहुत निर्भर होता है, इसलिये उत्तराखंड के सभी त्यौहार किसी न किसी रुप में प्रकृति से जुड़े होते हैं। फूलदेई त्योहार का संबंध भी प्रकृति के साथ जुडा है। यह बसंत ऋतु के स्वागत का प्रतीक होता है, बसंत ऋतु में चारो और रंग बिरंगे फूल खिल जाते है, बसन्त के आगमन से पूरा पहाड़ बुरांस के गुलाबी सफेद सफेद रंगो से भर जाता है। फिर चैत्र महीने के पहले दिन से और आखरी दिन बैशाखी तक बच्चों के फूल डालने पर आखरी दिन सुंदर उपहार इन्हें भेट स्वरूप दिए जाते हैं डाले गए फूल अच्छे भाग्य के संकेत माने जाते हैं। महिलाए घर आये बच्चों का स्वागत करती है , उन्हे उपहार मे ,चावल, गुड़, और कुछ पैसे और आशीर्वाद देते है इन त्योहारो में गुजारा बचपन को आज भी बड़े बुजुर्ग खूब याद किया  करते हैं।