पृथ्वी दिवस - पृथ्वी के लिए वरदान साबित हो रहा है कोरोना ,साफ सुथरी हुई आबोहवा।

मानवजाति के अब तक के पूरे इतिहास में शायद ही ऐसा पहली बार हो रहा है कि दुनिया के कई देशों में तालाबंदी कर दी गयी है,और ऐसे हालातो में ये भी पहली ही बार हो रहा है जब तालाबंदी के दौरान ही पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा हो। 1970 में 22 अप्रैल के दिन पहली बार पूरे विश्व मे पृथ्वी दिवस मनाया गया था।इस विशेष दिन को मनाने के पीछे एक उद्देश्य रखा गया था कि लोगो को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाया जाए।धरती का विनाश करने में सबसे बड़ा हाथ तो मानवजाति का ही रहा है,सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी आने से ओज़ोन परत का बड़ा योगदान होता है लेकिन मानव ने प्रदूषण फैलाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी ,जिसका नतीजा ओज़ोन परत में छेद होने लगे,तूफान का आना,सुनामी का आना,प्राकृतिक आपदाओं का आना और अब दुनिया की सबसे बड़ी महामारी कोरोना का संक्रमण पूरे विश्व मे फैलना ,इन सबका ज़िम्मेदार आखिर मानव ही तो है।

दुनिया के इतिहास में जब से प्रकृति का रूप मानव ने बिगड़ना शुरू किया ,तब से ये पहली बार हो रहा जब धरती खुल कर सांस ले रही है,आसमान खुल कर चमक रहा है,पक्षी खुल कर अपनी मर्जी से बिना डरे उड़ रहे हैं,जंगलों में रहने वाले जानवर खुल कर अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं, अब जंगली जानवर बेख़ौफ़ होकर शहरों तक पहुंच रहे है,ऐसा लग रहा है जैसे ये दुनिया अब एक चिड़ियाघर बन गयी है जहां पिंजरे में इंसान बन्द हैं और इस पृथ्वी के असली हकदार खुली हवा में आज़ाद घूम रहे हैं।

पृथ्वी दिवस पर कोरोना महामारी का जो असर पर्यावरण पर आज देखने को मिल रहा है वो शायद कभी मुमकिन ही नही हो पाता,अगर यूं कहा जाए कि कोरोना पर्यावरण के दुश्मन मानव का दुश्मन है लेकिन पर्यावरण और पृथ्वी का परम मित्र तो अतिश्योक्ति नही होगी।अगर भारत की बात करें तो पिछले साल प्रदूषण से जो हाल दिल्ली का हुआ था तब ऐसी नौबत तक आ गयी थी कि ऑक्सीजन के पार्लर तक खुल गए थे,मतलब साफ सुथरी हवा दुकानों में बिकने लगी थी,जबकि पेड़ पौधे हमे ये साफ सुथरी हवा फ्री में देते हैं, लेकिन मानव ने अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों को काट काट कर मकान,मॉल,फैक्टरी, इत्यादि बना डाली।लॉक डाउन की वजह से सारी फैक्ट्रियां बन्द हो गयी,आवाजाही बन्द है,वाहनो के चलने और निर्माण कार्य पर पूरी तरह प्रतिबंध लग चुका है ऐसे में दिल्ली ही नही पूरे देश मे हवा सांस लेने लायक हो चुकी है,वातावरण भी इतना साफ हो गया कि जालंधर से 200 किमी दूर हिमाचल की पहाड़ियां भी साफ दिखाई देने लगी हैं।


दिल्ली की यमुना नदी का पानी पहले से काफी साफ हो गया,यमुना के आसपास बनी फैक्ट्रियां बन्द हैं लिहाजा यमुना में कचरा इत्यादि का डलना भी बन्द है।कोरोना वायरस के चलते लगाया गए लॉक डाउन की बदौलत आज प्रदूषण का ग्राफ धड़ाम से गिर गया।

अगर हम गंगा नदी की बात करें तो लॉक डाउन से पहले गंगा का पानी पीने योग्य नही था लेकिन पर्यावरण संरक्षण संस्था के अनुसार आज गंगा का पानी A ग्रेड में आ गया है और इसका PH भी संतुलित हो गया है ,गंगा में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ने लगी है और गंगा का पानी सिर्फ साफ ही नही हुआ बल्कि जल प्राणियों की संख्या में भी इज़ाफ़ा हुआ है । 



पर्यावरण के साफ हो जाने से ओज़ोन परत में भी सुधार देखने को मिला है। दुनिया के बड़े बड़े देशो में औद्योगिक गतिविधियों के बन्द हो जाने से ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली रासायनिक गैसों का उत्सर्जन बहुत कम हो गया इसीलिए ओज़ोन परत में हुए छेद अब बन्द होने लगे हैं,वैज्ञानिकों की माने तो अब वर्षा के चक्र में भी अच्छा परिर्वतन होगा।

पृथ्वी दिवस पर कोरोना का एक बड़ा तोहफा धरती को मिला है ,लॉक डाउन के दौरान दुनिया मे सड़क परिवहन ,ट्रेन परिचालन,सहित सारी फैक्ट्रियां बन्द पड़ गयी हैं जिससे पृथ्वी में होने वाले कम्पन में 30 से 50 फीसदी तक कमी आयी है।भागती दुनिया की रफ्तार में आई कमी से कार्बन उत्सर्जन काफी कम हुआ है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग भी कम हुई है। कार्बन उत्सर्जन 5 प्रतिशत कम होगा,इसका फायदा हमारे जीवन पर सीधा देखने को मिलेगा।बेल्जियम के भूकम्प वैज्ञानिक थॉमस लेकॉक और स्टीफन हिक्स का मानना है कि ध्वनि प्रदूषण के कम होने से ऐसा संभव हुआ है,इन दोनों वैज्ञानिकों के अनुसार लॉक डाउन के दौरान उनके यंत्रों में अब दिन में पृथ्वी में होने वाली हर हलचल आसानी से रिकॉर्ड हो पा रही है।


बहरहाल 22 अप्रैल 2020 का पृथ्वी दिवस कोरोना की वजह से ही पृथ्वी के लिए काफी पॉजिटिव साबित हो रहा है।आज हर इंसान  यही प्रार्थना कर रहा है कि वो कोरोना नेगेटिव ही रहे लेकिन ये पृथ्वी ही है जो कोरोना की वजह से पॉजिटिव कंडीशन में आ रही है।।