प्रशासन की कमजोर व्यवस्था के कारण अन्नदाता हुआ परेशान

इस बार धान खरीद को लेकर शुरू से ही किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार स्थानीय प्रशासन द्वारा किसानों और राइस मिलरो के बीच मीटिंग कराकर कच्चा आढ़ती योजना के तहत किसानों का धान खरीदे जाने की प्रक्रिया शुरू कराई जाती रही है और बार-बार यह प्रक्रिया बंद होती रही है। वर्तमान में हालात यह है कि किसान मंडियों में ट्रैक्टर ट्रालीओं में धान भरकर चार - पाँच दिन से खड़ा है, परंतु उसका धान बिक नही रहा है। मजबूरी में किसान को भूखे प्यासे धान की रखवाली के लिए ट्रैक्टर ट्राली पर ही सोना पड़ रहा है। सितारगंज मंडी समिति में किसान जहां ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर और ट्रैक्टर ट्राली के नीचे सोते हुए देखा जा सकता है। वही खटीमा में भूखे प्यासे अपना धान बेचने के लिए मंडी में खड़े किसानों के लिए गुरुद्वारे से अब लंगर की व्यवस्था भी शुरू कर दी गई है। गुरुद्वारे से आए लंगर को भूखे किसानों को कराया जा रहा है। लेकिन किसानों का दर्द सुनने को कोई भी सरकारी अधिकारी तैयार नहीं है।




वही मंडी सचिव का कहना है कि मंडी समिति में नियमानुसार तोल की जा रही है क्योंकि इस समय धान की आवक ज्यादा है जिस कारण ट्रालियों की लाइने लगी हुई है। दो-तीन दिन बाद जब धान की आवक कम हो जाएगी तो यह किसानों की लंबी-लंबी लाइने स्वयं ही खत्म हो जाएगी।