बिग ब्रेकिंग:उत्तराखंड HC के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से मिली अभिभावकों को राहत जबरन फ़ीस मांगने के मामले में HC के फ़ैसले को रखा बरकरार

उत्तराखंड हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है ।आज सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमे पूर्व में हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि शिक्षा सचिव के 22 जून 2020 के आदेशानुसार स्कूल प्रबंधन जबरन फीस का दबाव नही बनाएगा। केवल आन लाइन क्लास पढ़ाई करने वाले स्कूल ट्यूशन फीस ले सकते है। 


       आपको बता दे हल्द्वानी की एजुकेशन वेलफेयर सोसायटी व उधम सिंह नगर एसोसिएशन आफ इंडिपेंडेंट स्कूल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने लॉकडाउन में निजी व अर्ध सरकारी विद्यालयों से फीस ना लेने सम्बन्धित 22 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी किया है जो संविधान के अनुच्छेद 19जी के विरुद्ध है क्योंकि  सरकार निजी स्कूलों की ऑटोनोमी के ऊपर हस्तक्षेप नही कर सकती है। वही देहरादून निवासी जपिन्दर सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार के आदेश के बाद भी निजी व अर्ध सरकारी स्कूल अभिभावकों से लॉक डाउन की फीस जमा कराने के लिए बार बार दवाब डाल रहे है ।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में  लॉक डाउन के दौरान ही 9 राज्यों के पैरेंट्स एसोसिएशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका दायर कर अप्रैल से जुलाई 2020 तक, तीन महीने की अवधि के लिए निजी स्कूल को फीस देने से छूट की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि “एक माता-पिता की वित्तीय कठिनाइयों के कारण फीस भुगतान में अक्षमता की स्‍थति में, संविधान में प्रदान किए गये” शिक्षा के अधिकार के मौलिक अधिकार की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है।वहीं हाइकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि बच्चों को जबरन ऑनलाइन क्लास पढ़ाई जा रही है जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। छोटे क्लास के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई समझ में भी नहीं आ रही है। उत्तराखंड में कई स्थानों पर इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है और कई लोगों के पास मोबाइल फोन और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं, जिससे कई बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं।

दरअसल अभिभावकों की तरफ से इस बात की शिकायत की गई है कि कुछ प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी कई दूसरी चीजों की फीस ले रहे हैं, जबकि स्कूल लंबे समय से बंद हैं। लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सिर्फ सीमित ऑनलाइन क्लासेस ही ली गई हैं,ऐसे में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य चीजों के लिए फीस की मांग करना गलत है.