ब्रेकिंग:पर्यावरण गांधी सुंदर लाल बहुगुणा की हालत स्थिर कोरोना संक्रमण के चलते एम्स में है भर्ती

ऋषिकेश 18 मई 2021: एम्स ऋषिकेश में भर्ती पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा की हालत स्थिर बनी हुई है। उनका शुगर लेवल अधिक होने के कारण मधुमेह विभाग की टीम अब उनके अन्य परीक्षण करेगी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में भर्ती पर्यावरणविद् सुन्दलाल बहुगुणा की हालत स्थिर बनी हुई है। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें बीती 8 मई को एम्स में भर्ती किया गया था। उन्हें नॉन इनवेजिव वेन्टिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। मंगलवार को उनके स्वास्थ्य संबंधी देते हुए संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल जी ने बताया कि बीते रोज उनकी शुगर की जांच की गई थी। उनका उपचार कर रहे चिकित्सकों के अनुसार उनका फास्टिंग शुगर लेवल की रिपोर्ट ज्यादा आ रही है। उनका बीपी सामान्य है और ऑक्सीजन लेवल 93 प्रतिशत है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उनके ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि शुगर ज्यादा होने के कारण अब एन्डोक्रॉयनोलॉजी (मधुमेह विभाग) के चिकित्सकों के परामर्श के आधार पर उनके अन्य परीक्षण किए जाएंगे।



 

फोटो साभार: गूगल 


आइये जानते है सुंदरलाल बहुगुणा के बारे में

 

चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी सन 1927 को देवों की भूमि उत्तराखंड के जिले टिहरी घडवाल के सिलियारी  'मरोडा  नामक स्थान पर हुआ । प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. किए।

सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी किए। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।

अपनी पत्नी विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही 'पर्वतीय नवजीवन मण्डल' की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980  में इनको पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज 'पर्यावरण गाँधी' बन गया है। और आज एम्स ऋषिकेश में कोरोना नामक बीमारी से लड़ रहा है