मुस्कुराते रहो लेकिन क्लेम नही मिलेगा...

मुस्कुराते रहो !!! यही टैग लाइन के साथ इफ़्को टोकियो भारत में वाहनों का बीमा करती है आवाज़ 24x7 जनता को आगाह करता है जब भी आप नया वाहन खरीदे या पुराने वाहन का बीमा करवाए तो ईफ़्को टोकियो से बीमा करवाने से पहले 10 बार सोचे क्योंकि हो सकता है कोई दुर्घटना घट जाने के बाद आप क्लेम लेने के लिए चक्कर ही लगाते रह जाए और बिना उपभोक्ता फोरम के न्याय से वंचित रहे  हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि 6 माह से एक उपभोक्ता इफको टोकियो के चक्कर लगा-लगा कर अब उपभोक्ता फोरम की शरण में जाने का मन बना चुका है । उपभोक्ता के दस्तावेज़ के अनुसार उपभोक्ता का  वाहन फोर्ड ईकोस्पोर्ट यू के 06 ऐ सी 8777, 22 अप्रैल 2019 की रात को दूसरे वाहन की गलती के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और नजदीकी पुलिस चौकी होने के कारण उपभोक्ता ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन चौकी में खड़ा कर दिया था , और उपभोक्ता ने अगले दिन इफको टोकियो के टोल फ्री नंबर पर दुर्घटना की जानकार भी दे दी थी चूंकि उपभोक्ता को जरूरी कार्य हेतु देहारादून जाना था इस कारण 5 मई 2019  को उपभोक्ता द्वारा चौकी से वाहन फोर्ड शोरूम हल्द्वानी पहुचा कर क्लेम फार्म भर दिया गया और वाहन को देरी से शोरूम पहुचने के कारण का पुलिस द्वारा प्रमाण पत्र भी दिया गया ,क्लेम से संबन्धित सभी दस्तावेज़ कंपनी को भेज दिये गए लेकिन 6 माह बीतने के बाद भी कंपनी से कोई सूचना उपभोक्ता को प्राप्त नहीं हुई ,उपभोक्ता के अनुसार आज इफको टोकियो के क्लेम मैनेजर नितिन वशिष्ठ से बातचीत होने पर नितिन बशिष्ठ द्वारा बताया गया कि क्लेम पंजीकृत करने में देरी हुई और जिस दिनांक को क्लेम पंजीकृत हुआ उस दिनांक को आपकी पॉलिसी खत्म हो चुकी थी ,लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि दस्तावेज़ के अनुसार वाहन का बीमा 28 अप्रैल 2019 को खत्म हो रहा था लेकिन उपभोक्ता द्वारा 19 अप्रैल 2019 को बीमा का नवीनीकरण 29 अप्रैल 2019 से 28 अप्रैल 2020 तक करवा लिया गया था और दुर्घटना घटी 22 अप्रैल 2019 को ,अगर नितिन बशिष्ठ क्लेम मैनेजर की भी बात माने तो भी पॉलिसी का नवीनीकरण अगले वर्ष के लिए हो चुका था ,जब ये बात उपभोक्ता ने समझाई तो क्लेम मैनेजर नितिन बशिष्ठ द्वारा दूसरा बहाना बताया गया कि आपने  क्लेम पंजीकृत देर से करवाया और देरी के संतोषजनक दस्तावेज़ कंपनी को नहीं भेजे ? जबकि दस्तावेज़ के अनुसार कोतवाली लालकुआ से देरी होने का स्पष्ट कारण बताते हुए उपभोक्ता को प्रमाण पत्र दिया है लेकिन कंपनी उसको भी मानने को तैयार नहीं है कंपनी के अनुसार प्राथमिकी दर्ज़ होने चाहिए लेकिन जब प्राथमिकी दर्ज़ नहीं है तो उपभोक्ता प्राथमिकी कहा से लाये ?

खैर कंपनी को क्लेम न देने का बहाना चाहिए इसीलिए अधिकतर उपभोक्ता न्यायालय कि शरण में जाता है । नए मोटर व्हीकल एक्ट आने के कारण अधिकतर सभी नयी गाड़ियो के बीमा वाहन ऐजेंसी से ही होते है लेकिन कोई भी ऐजेंसी उपभोक्ता को सरकारी या निजी बीमा कंपनी से बीमा खरीदने को बाध्य नहीं कर सकती उपभोक्ता को चाहिए बीमा कंपनी का चयन सभी कुछ देख भाल के करें अगर संतुष्ट न हो उपभोक्ता अपनी  पसंद की  बीमा कंपनी से बीमा करवा सकता है 

 ताकि भविष्य में इनके चक्कर न काटने पड़े ।