लेबर डे स्पेशल:हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे एक बाग नहीं एक खेत नहीं हम सारी दुनिया मांगेंगे

एक मजदूर जो बड़ी बड़ी कोठियां बनाता है ,महल बनाता है अपने लिये एक घर नहीं बना पाता।पर यकीन मानो आपसे और हमसे कई गुना ज्यादा मजबूत इरादे होते हैं मजदूरों के।एक गैस सिलैंडर उठाने में हमें आफत आ जाती है ,और मजदूर सर पर ना जाने कितने किलो का भारी बोझ उठाये दिन भर मेहनत करता है।किसी ने मजदूरों पर क्या खूब लिखा है।

"हाथों में लाठी है, मजबूत उसकी कद-काठी है, हर बाधा को वो कर देता है दूर, दुनिया उसे कहती है मजदूर"।


आज पूरी दुनिया में मजदूर दिवस(लेबर डे) मनाया जा रहा है।आज का दिन मजदूरों को एक दिन का हीरो बना देता है ,पर कितने मजदूरों को तो पता भी नहीं होगा कि उनके नाम पर एक विशेष दिन को मनाया जाता है।अगर ये मजदूर ना होते तो ना हवा महल ही होता ,और ना होता ताजमहल,ना ग्रेट वाॅल ऑफ चायना होती ना होता शीश महल।हमारा आशियाना बनाने वाले मजदूरों के नाम पर ये दिन क्यों मनाया जाता है आइये बताते हैं आपको।

1मई मजदूर दिवस के रूप में भारत में 1923 को सबसे पहले मद्रास में मनाया गया था।भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दूस्तान ने मद्रास में इस दिन की शुरूआत की थी।इस दिन पूरी दुनिया में मजदूरों के अनिश्चित समय कार्य करने के घंटो को कम कर के आठ घंटो कर दिया गया था।अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की शुरूआत 1मई 1886 को हुई थी।अमेरिका के मजदूर संघठन ने मिलकर आठ घंटे से ज्यादा काम न करने के लिये हड़ताल की थी, जो एक क्रान्ति के रूप में बदल गयी थी।अमेरिका में पहले घंटो के बेहिसाब तरीके से काम करने पर मजदूरों मे भारी रोष जागने लगा था।घर परिवार सब छूटने लगा था कई मजदूरों की हालत ऐसी हो चुकी थी कि अपने ही परिवार से उन्हे मिलने तक का समय नहीं मिलता था,यहां तक दिन रात मजदूरी करने के चक्कर में मजदूर खाना भी नहीं खा पाते थे,इस वजह से मजदूरों ने हड़ताल करनी शुरू कर दी जो अमेरिका में एक मजदूरों के द्वारा की गयी एक बड़ी हड़ताल मानी गयी।हड़ताल के दौरान शिकागो में हेमाक्रट में एक बड़ा बम धमाका हुआ जिससे निबटने के लिये स्थानीय पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी ,जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गयी थी, और कई घायल हो गये थे।उन्ही की याद में उनके समर्पण और मजदूरों के लिये उनके बलिदान के रूप में अमेरिका में लेबर डे मनाने की शुरूआत हुई।जिससे मजदूरों की मांग को मान लिया गया था।सन् 1889 में एक समाजवादी  सम्मेलन हुआ था,जिसमें शिकागो नरसंहार में मारे गये निर्दोष मजदूरों की याद में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया।पर अमेरिका में वर्ल्ड लेबर डे सितम्बर माह के पहले सोमवार को मनाया जाता है और इस दिन पूरे अमेरिका में सरकारी अवकाश भी होता है और 1 मई के दिन भारत समेत तकरीबन 80 से ज्यादा देशों में छुट्टी मनायी जाती है।

सयुंक्त राष्ट्र के अंतर्गत काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संस्था पूरी दुनिया में मजदूरों के जीवन स्तर को उच्च बनाने,मजदूर उत्पीड़न को रोकने,और मजदूरो के हक के लिये काम करती है।लेकिन आज भी इस संस्थाओं का होना न होना बराबर ही है।मजदूरों का जीवन स्तर आज भी गरीबी रेखा से नीचे ही है।भारत में तो ये हाल है कि मजदूर तो मजदूर उनके छोटे छोटे बच्चे तक बाल मजदूरी करने के लिये मजबूर हैं।जबकि बाल मजदूरी करवाना देश में एक अपराध है।लेबर डे के दिन गूगल भी अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाता है,दुनियाभर के मजदूरों की के लिये गूगल हर साल विशेष डूडल तैयार तैयार करता है, जिसमें गूगल ने मजदूरों के उपकरणों को शामिल किया है।आप भी ऑन लाईन गूगल करके गूगल के मजदूर दिवस को समर्पित डूडल को देख सकते हैं।क्योंकि सिर्फ मजदूर दिवस ही तो है जिसमें हम मजदूरों को इज्जत दे सकते हैं।धरातल पर उनके लिये कुछ अच्छा काम कब होगा पता नहीं।मजदूरों के लिये तो सारी दुनिया ही उनकी है उन्ही के द्वारा ये दुनिया बनायी गयी है।

गीतकार हसन कमाल ने फिल्म मजदूर में क्या खूब ये गीत लिखा है। हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे, एक बाग नहीं, एक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।