लॉकडाउन में गांव लौटे प्रवासी युवकों ने बना डाली 180 मीटर लंबी सड़क

ऐसे ही नहीं कहा जाता कि पहाड़ का युवा पहाड़ की तकदीर और तस्वीर दोनों को बदल सकता है। ये कर दिखाया अल्मोड़ा के युवाओं ने। लॉकडाउन में गांव लौटे प्रवासि युवां ने जब देखा कि उनके गांव में सड़क नहीं है तोे सबने हाथों में उठा लिए सब्बल, गैंती और फावड़े। आखिर 18 दिन में सबने मिलकर 180 मीटर लंबी सड़क बना डाली।

ये कहानी है अल्मोड़ा जिले के द्वारसौं की। यहां से खौड़ी गांव स्थित सणोली तक तो सात किलोमीटर की सड़क है, लेकिन यहां से गुरना गांव तक करीब एक किलोमीटर पैदल जाना होता है। ये रास्ता भी बेहद संकरा है। अगर किसी बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना हो तो ये काम बेहद मुश्किल हो जाता है। बाहर से गांव लौटे युवाओं ने जब गांव वालों की परेशानी देखी तो खुद इसे दूर करने की ठान ली।

लॉकडाउन के दौरान दिल्ली, नोएडा, बंगलुरु आदि महानगरों से स्थानीय युवा गांव लौटे हैं। जब ये युवा गांव पहुंचे तो कुछ ने घर से लगभग एक किमी पहले बाइक खड़ी कर पैदल गांव की यात्रा की। तब वे इस परेशानी से रूबरू हुए। सणोली के चमूधार से गांव तक संकरे मार्ग को चौड़ा करने की योजना बनाई। 71 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक रमेश जोशी व 65 साल के पूरन चंद्र जोशी युवाओं का हौसला बढ़ाया। दिल्ली से लौटे पॉलिटेक्निक कर चुके वेबसाइट डेवलपर मुकेश जोशी व साथी प्रवासी युवाओं ने फावड़े, सम्मल व गैंती थाम बीती तीन मई से मार्ग के चौड़ीकरण की मुहिम शुरू की और आखिर बाइक के आने जाने लायक सड़क बना डाली।