शास्त्रीय संगीत के विद्वान पंडित जसराज के नाम है सौरमण्डल का एक ग्रह खुद का राग भी बना डाला था

भारत के गौरव पद्मविभूषण शास्त्रीय गायक पंडित जसराज अब हमारे बीच नही रहे,उनका निधन अमेरिका के न्यू जर्सी में हुआ,90 वर्ष की आयु में उन्होंने आखिरी सांसे ली।पंडित जसराज  का जीवनकाल भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि रहा है संगीत के क्षेत्र में उन्होंने उत्कृष्ट उदाहरण पेश किए हैं, संगीत के क्षेत्र में उन्हें कई सम्मान मिले ।हरियाणा के हिसार जिले के जसराज की प्रसिद्धि पूरी दुनिया मे फैली,उन्हें ना सिर्फ पद्मविभूषण बल्कि पद्मभूषण और पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है,वो इतने मेधावी थे कि उन्होंने खुद का ही एक राग भी बनाया था ।

पंडित जसराज इंटरनेशनल स्तर पर इतने ज़्यादा मशहूर थे कि अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ(इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन)(IAU) ने 11 नवंबर 2006 को खोजे गए एक ग्रह 2006-VP32-संख्या-300128 का नाम  "पंडित जसराज ग्रह" रखा गया, इस माइनर प्लेनेट को पहले '300128' के नाम से भी जाना जाता था,अगर आपको पंडित जसराज की जन्मतिथि मालूम हो तब आप ये सुनकर चौंक जाएंगे कि 300128 नाम "पंडित जसराज" की जन्म तिथि के बिल्कुल उल्टा है  पं. जसराज का जन्म 28/01/30 को हुआ था। इसलिए अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने पंडित जसराज के नाम पर ही इस ग्रह के नामकरण कर दिया।पंडित जसराज शायद पूरी दुनिया मे पहले ऐसे भारतीय गायक थे जिनके नाम पर एक माइनर प्लेनेट भी है,माइनर प्लेनेट वो ग्रह होते हैं जो ना तो पूरी तरह ग्रह ही होते है और न उन्हें धूमकेतु की श्रेणी में रखा जाता है।