तबादले में चलता है मंत्री जी का कोटा, और अन्य शिक्षकों से सी एम पूछता है : जब नौकरी ली थी तो क्या लिखकर दिया था ?

नियमों को टाक में रखकर तबादला कैसे किया जा सकता है कोई बीजेपी से पूछे क्योंकि उत्तराखंड में एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें ट्रान्सफर नियमावली को दरकिनार कर  टिहरी जिले के धारकोट जीजीआईसी की प्रधानाचार्या इंदु पुरोहित को चुपचाप देहरादून हर्रावाला भेज दिया गया .गौर करने वाली बात ये है की इंदु पुरोहित के पति प्रोफ़ेसर के डी पुरोहित उच्चतर शिक्षा अभियान ( रूसा ) के लिए सरकार के सलाहकार है ,और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत के करीबी है I

इंदु पुरोहित के मामले में शिक्षा निदेशक आर मीनाक्षी सुन्दरम ने आदेश किये और शिक्षा निदेशक आर के कुंवर को तत्काल कार्यवाही के लिए भी बोला गया .

2016-17 में हाई स्कूल की 22 प्रधानाध्यापिको का प्रमोशन हुआ था पूरे पद न होने पर 4 प्रधानाध्यापिका किरण खंडूरी,कांता रौतेला सुनीता मधवाल और इंदु पुरोहित को पोस्टिंग नहीं मिल पायी थी लेकिन सरकार ने इंदु के आवेदन को प्रमुखता से लेते हुए कार्यवाही के आदेश कर दिए .

सेवा नियमावली के अनुसार पहली पोस्टिग दुर्गम में की जाती है लेकिन शिक्षा विभाग की दलील है की दुर्गम में कोई पद रिक्त नहीं है इसलिए सुगम में इन्हें पोस्टिंग दीगयी है I



अब सवाल ये है कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग नियमावली को दरकिनार क्यों कर रहा है और किसके दबाव में कर रहा है ? आपको याद होगा उत्तरा पन्त बहुगुणा जो जनता दरबार में त्रिवेंद्र सरकार के पास अपनी समस्या ले कर आई थी बतौर उत्तरा बहुगुणा 25 वर्षो से वो दुर्गम में अपनी सेवाए दे रही है और अपने बच्चों से दूर है और तबादले की अधिकारी भी है लेकिन त्रिवेन्द्र सरकार ने उत्तर पन्त बहुगुणा को सीधा सा जवाब दिया था कि जब नौकरी ली थी तो क्या लिखकर दिया था ? मतलब साफ़ है कि अगर आपके सम्बन्ध बीजेपी के मंत्री से है तो नियमावली तो आपके लिए तोड़ा या मरोड़ा भी जा सकता है और आपको लाभ दिया जा सकता है I