सुनिए सरकार : सुशीला तिवारी अस्पताल मे 6 घंटे भी नही रुक पाई नेता प्रतिपक्ष,और आप बात करते है आम आदमी की

उत्तराखंड के सीएम होने के साथ साथ स्वास्थ्य विभाग की डोर भी मुख्यमंत्री के हाथों में है,लेकिन कुमाऊँ के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल की बदहाली की दास्तान अब आम आदमी के अलावा नेता भी बयां करने लगे है।

जी हाँ जो अस्पताल कांग्रेस की दिग्गज नेता रहे नारायण दत्त तिवारी की पत्नी के नाम पर बनाया गया उसी अस्पताल में कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश मुश्किल से 6 घण्टे भी नही रुक पाई और शनिवार को हेलीकॉप्टर से देहरादून जा पहुंची वहां भी नेता प्रतिपक्ष को अस्पताल में प्राइवेट रूम नही मिला तो उन्हें वापस फिर लौट कर हल्द्वानी आना पड़ा।इंदिरा हृदयेश क्योंकि दिग्गज नेता है इसीलिए ये सभी बातें चर्चाओ में आ गयी अब सोचिए उसी सुशीला तिवारी अस्पताल में किसी आम इंसान के लिए इलाज करवाना उसकी मजबूरी है लेकिन वीआईपी लोगो के लिए जब मर्जी वहां से निकलना बड़ा आसान है सुशीला तिवारी अस्पताल से इन्ही वजहों से मरीज आये दिन भागते है ।


लॉक डाउन के बाद सुशीला तिवारी अस्पताल से अगर भागे हुए मरीजो का ब्यौरा देखे तो ...

8 अप्रैल को कोरोना संदिग्ध भागकर भवाली जा पहुंचा था । 

26 अप्रैल को एक आरोपी भी अस्पताल से रस्सी काटकर भाग गया था ।

4 मई को हत्या का आरोपी मरीज भी भाग गया था ।

8 मई को आधी रात में भर्ती हुआ कोरोना संदिग्ध भाग खड़ा हुआ था ।

29 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव भागते हुए पकड़ा गया ।

5 अगस्त को रामनगर निवासी कोरोना पॉजिटिव भाग गया ।

6 अगस्त को महिला कोरोना पॉजिटिव भाग गई ।

12 अगस्त को 3 कैदी कोरोना मरीज खिड़की तोड़ कर भाग गए ।

31 अगस्त को एक और मरीज भाग गया ।

1 सितंबर को उधमसिंह नगर का निवासी अस्पताल से भाग गया ।

3 सितंबर को एक और मरीज फिर भाग गया ।

11 सितंबर को महिला कोरोना पॉजिटिव भाग गई।


सुशीला तिवारी अस्पताल से मरीजो का भागना आम हो गया है अगर नेता प्रतिपक्ष भी आम इंसान होती तो शायद वो भी सुशीला तिवारी अस्पताल की बदहाली देखकर भाग ही जाती, उनके बेटे सुमित हिर्देश ने भी सुशीला तिवारी अस्पताल की गंदगी को लेकर कहा है कि अस्पताल की गंदगी से डर लगता है,डॉक्टर तो काबिल है,शौचालय साफ होने चाहिए। सुशीला तिवारी अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर नैनीताल डीएम सविन बंसल भी अपनी नाराजगी कई बार जाहिर कर चुके है और कई बार उन्होंने जांच के आदेश भी दिए लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली अब भी ज्यो की त्यों है।  

ये हाल तब है जब सीएम साहब स्वास्थ्य विभाग की डोर अपने हाथों में लिए हुए है , अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन भी खराब हो गयी है और प्लाज़्मा मशीन भी बेकार पड़ी हुई है,जिसके चलते मरीजो को अगर इसी बीच सीटी स्कैन करवाना पड़ जाए तो मरीज के साथ साथ तीमारदारों की भी दिक्कत बढ़ जाएगी और अस्पताल के लिए भी परेशानी पैदा हो जाएगी। दो दिनों से अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है बीते गुरुवार को एक मरीज का सीटी स्कैन होना था लेकिन खराब पड़ी मशीन के चलते स्कैन नही हो सका।सुशीला तिवारी अस्पताल में स्क्रब टाइफस की जांच भी बन्द हो गयी है जिसके चलते मरीजो को प्राइवेट में यही जांच 1 हज़ार से 2 हज़ार रुपये में करवानी पड़ रही है।


सूत्रों की माने तो स्क्रब टाइफस की करीब सौ से अधिक जांच 2017 से पिछले साल यानी 2019 तक जांचे हुई हैं,2019 के बाद स्क्रब टाइफस की जांच होना ही बन्द हो गया।स्क्रब टाइफस एक कीड़े के काटने से होता है,जिससे इंसान के शरीर के मुख्य अंगों को नुकसान पहुंचता है तेज़ बुखार,सांस फूलना,दिमाग पर असर होना इसके मुख्य लक्षण है इससे जान भी जा सकती है। 


ऐसे ही कुछ हाल हल्द्वानी के बेस अस्पताल का भी है जहां पैथोलॉजी लैब बन्द हो गयी थी,जांच करवाने के लिए मरीजो को बाहर जाना पड़ा।बेस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड भी बन्द  रहा, जिसकी वजह से मरीजो को प्राइवेट लैब में जांचे और अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ा।गौर करने वाली बात ये है कि सरकारी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड फ्री में होता है जबकि प्राइवेट अल्ट्रासाउंड करवाने में 800 से 1500 के बीच मे अल्ट्रासाउंड का खर्चा आता है।