स्कूल खोलने पर सरकार ने जारी की SOP लेकिन अभिभावकों की राय भी तो जान लें लॉक डाउन में बच्चों से बहुत तंग हुए पर अब क्या कहते हैं अभिभावक

वैश्विक कोरोना महामारी के बाद बंद हुए स्कूलों को आंशिक तौर पर खोले जाने को लेकर केंद्र सरकार ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेजर यानी SOP जारी कर दिया है। 21 सितंबर से कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों के लिए सशर्त स्कूलों को खोले जाने की इजाजत दी गयी है। हालांकि, यह स्वैच्छिक होगा यानी छात्रों के ऊपर होगा कि वह स्कूल जाना चाहते हैं या नहीं। इस दौरान छात्रों के बीच कम से कम 6 फीट की दूरी रखनी होगी। फेस कवर/मास्क भी जरूरी होंगे।वहीँ कंटेनमेंट जोन में स्थित स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं होगी उन्हें अभी अगले आदेश तक स्थगित रखा जायेगा। केंद्र द्वारा जारी SOP में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से नौवीं से 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के दौरान ऑनलाइन/डिस्टेंस लर्निंग की अनुमति जारी रहेगी। स्कूल अधिकतम अपने 50 प्रतिशत टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को ऑनलाइन टीचिंग/टेलि-काउंसलिंग और इससे जुड़े दूसरे कामों के लिए बुला सकते हैं।

एसओपी के मुख्य बिंदु कुछ इस तरह होंगे:-


छात्रों को फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा।


हर छात्र को एक दूसरे से कम से कम छह फुट की दूरी बनाकर बैठना होगा, और ये लिफ्ट, पार्किंग, कॉरिडोर सभी जगहों पर लागू होगा।


सभी छात्रों को थोड़ी-थोड़ी देर पर हाथ धोना होगा और सैनिटाइजर  का इस्तेमाल करना होगा।


खांसने और छींकने के वक्त मुंह और नाक को ढककर रखना होगा।


सार्वजिनक जगह पर थूकना मना होगा।


किसी छात्र को तबियत में कुछ गड़बड़ी का अहसास होगा, उन्हें फौरन स्कूल टीचर या प्रशासन को इस बारे में जानकारी देनी होगी।


छात्रों को जहां तक मुमकिन है आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड़ करने की सलाह दी गई है।


कंटेनमेंट जोन के अंदर के स्कूलों को इजाजत नहीं होगी और यहां रहने वाले छात्र या टीचर या दूसरे किसी स्टाफ को गैर कंटेनमेंट जोन में मौजूद स्कूल में आने की इजाजत नहीं होगी।


स्कूलों को खोलने से पहले पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाएगा और उन जगहों पर बार-बार सफाई की जाएगी जहां टीचर और छात्र बैठकर बातचीत करेंगे।


अगर किसी स्कूल को पहले क्वारंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो तो उनको खास तौर पर सैनिटाइज किया जाएगा।


स्कूलों में फिलहाल एसेम्बली नहीं होगी, स्वीमिंग पूल भी बंद रहेंगे और खेलकूद से जुड़ी गतिविधियों पर भी पाबंदी लगी रहेगी।


स्कूल के दरवाजों के बाहर थर्मल स्क्रीनिंग होगी ताकि छात्रों और शिक्षकों के तापमान की जांच हो सके।


बिना किसी लक्षण वाले व्यक्ति को ही अंदर जाने दिया जाएगा औऱ अगर किसी में जरा भी कोरोना का लक्षण दिखा तो उन्हें फौरन पास के हेल्थ सेंटर भेजा जाएगा।


भीड़ से बचने के लिए अलग-अलग समय पर छात्रों को स्कूल बुलाया जा सकेगा।


छात्रों को आपस में नोटबुक, पैन, पेंसिल, रबर, वाटरलबॉटल एक दूसरे को लेने-देने की इजाजत नहीं होगी।जिंन स्कूलों में बसों की सुविधा है उनमें भी सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाएगा।स्कूलों को खोलने पर आवाज़24x7 ने कुछ अभिभावकों से राय ली जिसमे अभिभावकों की अलग अलग प्रतिक्रिया सामने आई,नैनीताल की अंजुम कहती है जिस तरह भारत मे कोरोना के मामले रिकॉर्ड तोड़ सामने आ रहे हैं उसे देखते हुए स्कूल फ़िलहाल नही खोलने चाहिए अगर सरकार स्कूल खोल रही है तो हम तो किसी भी हालत में अपने बच्चों को स्कूल नही भेजेंगे,बच्चों से बढ़कर कुछ नही है फिर चाहे तो स्कूल हमारे बच्चों का नाम ही क्यो काट दी हालांकि हमने स्कूल की फीस जमा की हुई है तो स्कूल भी नाम नही काट सकता,बच्चे ना तो सोशल डिस्टनसिंग बना सकते है ना मास्क ही ठीक से लगा पाएंगे,वहीं नाम न लिखने की शर्त पर एक महिला ने कहा कि मेरा छोटा बेटा 12 में पड़ता है और पिछले कई महीनों से कोरोना की वजह से घर मे ही है ,घर पर वो पढ़ाई नही हो रही जो स्कूल में होती है इसीलिए स्कूल खुल जाए तो अच्छा है वैसे भी अनलॉक के बाद बच्चे तो बाहर निकल ही रहे हैं खेल भी रहे हैं तो क्यो न स्कूल में जाकर पढ़ाई भी कर लें, एक दिन तो कोरोना सभी को होना है इसके लिए खुद ही एहतियात रखनी होगी।21 सितंबर को स्कूल खुलने को लेकर देहरादून की बबिता कहती है कि मेरा बेटा इसी साल 9 में गया था आधे सत्र में ही लॉक डाउन लग गया मेरे बेटे की इम्युनिटी पहले ही वीक है अक्सर खांसी जुखाम रहता है ऐसे में मैं सरकार द्वारा स्कूल खोले जाने का सख्त विरोध करती हूं हमारे बच्चे सरकार की लैब में रखी किसी प्रयोगात्मक वस्तु की तरह नही है अमेरिका में लॉक डाउन के बाद जब स्कूल खुले तो एक ही दिन में रिकॉर्ड तोड़ कोरोना पॉजिटिव बच्चे मिले, क्या हमारे बच्चों की ज़िम्मेदारी सरकार लेगी? सरकार के रही है कि बच्चे स्वेच्छा से स्कूल जा सकते है अभिभावकों की अनुमति होगी तभी स्कूल जाएंगे तो सरकार से मैं कहना चाहती हूं कि स्कूल खोले ही क्यो है जो आपको अभिभावकों की अनुमति की ज़रूरत पड़ रही है।ऋषिकेश की शैलजा दो बच्चों की मां है उनका एक बड़ा बेटा 9 में पढ़ता है वो कहती है कि पूरे लॉक डाउन में जो उधम बच्चों ने मचाया है उससे हमे नानी याद आ गयी स्कूल खुल रहे है अच्छी बात है और जो गाइडलाइंस का पालन करवा सकते हैं उन स्कूलों में बच्चों को भेजा जा सकता है।मैं अपने बेटे को भेजने को तैयार हूं सैनिटाइज़ देकर बच्चों को स्कूल भेजें, बाकी ज़िम्मेदारी तो स्कूल प्रबंधन की रहेगी,और जब बच्चा घर आएगा तब उसको काढा दे,इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए हरी सब्जियां, फ्रूट्स, हल्दी का दूध दे,अब हमें कोरोना से डरने की ज़रूरत नही है बल्कि कोरोना से लड़ते हुए अपनी ज़िंदगी जिये।