स्वास्थ्य विभाग में चल रहा बड़ा खेल, हिमोग्लोबीनोमीटर की खरीद में किया जा रहा करोड़ों का खेल

देहरादून, उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग कब क्या ना कर दे इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन दिनों विभाग में चल रहे हैं खरीदारी के खेल में अधिकारी मानकों तक की अनदेखी कर रहे हैं। आलम यह है कि अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी के चलते करोड़ों रुपए का सामान नियमों को तांक पर रखकर खरीद लिया और हवाला राज्य की ड्रग क्रय नीति का दिया जा रहा है कि कोई भी सामान नीति के आधार पर खरीदा जा सकता है । हालांकि विभाग की क्रय नीति में भी इस प्रकार का कोई जिक्र नही है, जिसमे यह कहा जाए कि किसी उपकरण के अनुभव के आधार पर दूसरे उपकरण को क्रय किया जा सके। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हिमोग्लोबीनोमीटर क्रय करने से पूर्व प्री बिड में ही नियमो में फेरबदल किया गया है। दरअसल स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारियों ने हिमोग्लोबीनोमीटर खरीदारी में ग्लूकोमीटर का अनुभव लगाते हुए एक कंपनी को करोड़ों रुपए का क्रय आदेश देने की तैयारी कर ली है, लेकिन अधिकारी यह मानने को तैयार तक नहीं है कि ग्लूकोमीटर बनाने वाली कंपनी हिमोग्लोबीनोमीटर में कितना बेहतर काम कर सकती है। स्वास्थ्य महानिदेशक इस पर अलग ही तर्क दे रही हैं उनके अनुसार हिमोग्लोबीनोमीटर को ग्लूकोमीटर के आधार पर क्रय किये जाने को लेकर कमेटी ने निर्णय लिया है। हालांकि मिली जानकारी के अनुसार हिमोग्लोबीनोमीटर व ग्लूकोमीटर की समानता को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय ने एम्स ऋषिकेश से भी उनका पक्ष जानने को लेकर पत्र भेजा था। जिसमें एम्स के द्वारा भी दोनों में किसी प्रकार की समानता ना होने की बात कही गई थी। लेकिन इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मनमर्जी दिखाते हुए ग्लूकोमीटर के एक्सपीरियंस लेटर पर हिमोग्लोबीनोमीटर कर दिया हालांकि स्वास्थ्य महानिदेशक के हिमोग्लोबीनोमीटर को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। हालांकि इस मामले को लेकर में विभाग को कई शिकायतें लिखित रूप से भी भेजी गई हैं।