नैनीताल:डाइलिसिस के मरीज ने तड़पते हुए तोड़ा बेस अस्पताल के गेट के बाहर दम,बदइंतजामी बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने खोली अस्पतालों की पोल,क्या जिला प्रशासन करेगा अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही?
एक तरफ कोरोब की संभावित लहर नैनीताल जिले में पैर पसारने लगी है उधर जिला प्रशासन कहता है कि हमारी तैयारी पूरी है हम कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है।अगर जिला प्रशासन की तैयारियां पूरी है तो हल्द्वानी में संवेदनहीनता देखने को नही मिलती।बीते रोज हल्द्वानी के बेस अस्पताल के इमरजेंसी गेट के बाहर मरीज ने दम तोड़ दिया और अस्पताल मूक दर्शक बन कर सब देखता रहा।
क्या यही तैयारियां है जिला प्रशासन की? ये सवाल भी तब खड़ा हो रहा है जब कोरोना की तीसरी लहर ने सिर्फ दस्तक दी है और जिस मरीज ने दम तोड़ा वो कोरोना के लिए नही बल्कि डाइलिसिस के लिए बेस अस्पताल पहुंचा था।सुविधा के नाम पर तो मरीज को बस ठेंगा मिला और तड़पते हुए उसने इमरजेंसी गेट के पास ही दम तोड़ दिया।
हल्द्वानी के अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के लिए लोगो को धक्के खाने पड़ रहे है तो गम्भीर बीमारियों का इलाज क्या होगा?
हल्द्वानी जिले का एक मात्र शहर है जहां लोग इलाज के लिए रेफर किये जाते है लेकिन यहां एक मरीज स्वास्थ्य सुविधाओं की बदइंतजामी और लापरवाही की भेंट चढ़ गया।47 वर्षीय मरीज शक्तिफार्म सितारगंज से डाइलिसिस के लिए बेस अस्पताल हल्द्वानी पहुंचा था,काफी देर इंतज़ार करने के बाद मरीज का नम्बर आया जैसे तैसे मरीज की डाइलिसिस की गई,इसके बाद जब मरीज लौट रहा था तब वो गेट के पास ही गिर गया।लेकिन किसी ने भी मरीज के शव की सुध तक नही ली,कोई ये देखने भी नही आया कि मरीज जिंदा भी है या नही? इस बात पर गुस्साए लोगों ने गेट के बाहर ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।प्रदर्शन की खबर सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह को मिली वो तुरंत मौके पर पहुंची इसके बाद पुलिस भी वहां पहुंच गई।मंगल पड़ाव चौकी इंचार्ज ने भी माना कि अस्पताल ले जाने पर मौत की पुष्टि हुई।
वही लोगो ने बेस अस्पताल के खिलाफ नारेबाजी भी की लोगो का आरोप है कि मरीज गश खाकर इमरजेंसी के गेट पर ही गिर गया था उसकी जान बचाई जा सकती थी अगर सही वक्त पर उसे अस्पताल के अंदर ले जाकर इलाज दिया जाता लेकिन किसी ने भी मरीज की सुध नही ली ये लापरवाही अस्पताल की है और इस पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।