नैनीताल:महंगाई के डबल इंजन में धक्का लगाने पहुंची पूर्व कांग्रेस नेत्री सरिता आर्य को मिला बीजेपी से टिकट

Uttarakhand / Nainital: Sarita Arya got a ticket to push the double engine of inflation

उत्तराखंड में दलबदलू राजनीति चल रही है। बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर है,इधर के खाने से उधर और उधर के खाने से इधर सियासी शतरंज के मोहरे बदले जा रहे है। बीजेपी और कांग्रेस ये दोनों दल उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही चर्चा में रहे है,खासकर नैनीताल विधानसभा सीट इन दलों की वजह से ही हमेशा हॉट रही है।  हालांकि राज्य गठन से पहले  यहां बीजेपी और यूकेडी ने ही कब्जा किया था,इस क्रम को तोड़ते हुए कांग्रेस से महिला प्रत्याशी सरिता आर्य ने 23 सालो बाद 2012 में कांग्रेस के खाते में जीत दर्ज करवाई थी। इस जीत  के बाद सरिता आर्य 2015 में उत्तराखंड महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। इसके बाद 2017 में भी कांग्रेस ने सरिता आर्य पर ही दांव खेला था,लेकिन यहां उन्हें शिकस्त मिली। पिछले कई सालों से सरिता आर्य और कांग्रेस एक दूसरे के पूरक रहे  थे,लेकिन उन्होंने बरसो के साथ को छोड़ दिया। 

उधर सरिता आर्य को टिकट मिलने के बाद महीनों पहले से तैयारी कर रहे हेम आर्य, दिनेश आर्य,और मोहन पाल को करारा झटका लगा है,सम्भव है कि मोहन पाल और दिनेश आर्य पार्टी ही न छोड़ दें। हेम आर्य की बात करे तो उनकी तक़दीर भी अजीब है,जब  वो बीजेपी में थे,तब कांग्रेस से अचानक संजीव आर्य बीजेपी में आगये और टिकट लेकर जीत भी गए,साल 2017 में ये पलटफेर हुआ था। अब जब संजीव आर्य ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली तो टिकट के प्रबल दावेदार भी वही है इसीलिए हेम आर्य ने अब बीजेपी में घर वापसी कर ली और विधायक बनने के सपने देखते हुए गांव गांव जाकर जी तोड़ मेहनत भी की,लेकिन अब की बार फिर वही हुआ,सरिता आर्य तीन दिन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आई और टिकट पर झपट्टा मार लिया।

आपको याद होगा सरिता आर्य ने पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने पर डबल इंजन की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि डबल इंजन की सरकार को आज धक्का लगाना मुश्किल हो रहा है,जिस तरह बीजेपी मुख्यमंत्री बदल रही है यही बीजेपी की विफलता का कारण है। सीएम प्रदेश अध्यक्ष बदलने पर सरिता आर्य ने बीजेपी का घोर विरोध किया था आज वही सरिता आर्य खुद बीजेपी में शामिल हो चुकी है और नैनीताल विधानसभा से बीजेपी के लिए ही उन्हें टिकट मिल चुका है इसके लिए उन्होंने बाकायदा , गोल्ज्यू देवता के मंदिर में गुहार तक लगाई थी।

अब सवाल ये है कि बीजेपी जिसके लिए कभी आरएसएस ही टिकट की गांरटी हुआ करता था आज विरोधी दल से आये लोगो का स्वागत कर रही है,क्या बीजेपी इन दलबदलू की गारंटी ले सकती है? जिन लोगो ने दशकों से किसी पार्टी का नमक खाया हो अचानक उस पार्टी को छोड़कर टिकट के लालच में दल बदल दे,उन पर भरोसा किया जा सकता है? 

भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है केंद्र के अलावा देश के 19 राज्यों में बीजेपी की सरकार है। बीजेपी की विचारधारा हिंदूवादी,राष्ट्रवादी रही है,राष्ट्रवादी सिद्धांतो के साथ ही बीजेपी ने जम्मू कश्मीर की धारा 370,तीन तलाक,अयोध्या राम मंदिर,इत्यादि बड़े मुद्दों को हल किया,वही कांग्रेस ने इन सभी मुद्दों का खुलकर विरोध किया। आज कांग्रेस से जितने भी नेता बीजेपी में शामिल हो रहे है उनकी विचारधारा वर्षों से कांग्रेस की रही है जो धर्मनिरपेक्ष ही रही है। बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में ज़मीन आसमान का अंतर है ऐसे में कोई भी कांग्रेसी या कोई भी बीजेपी नेता दल बदलते वक्त उस विचारधारा को एक झटके में कैसे बदल सकता है जिसके साथ उसने कई वर्षों तक पार्टी का प्रतिनिधित्व किया हो?