वाह री सरकार! ये क्या कह दिया कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से नही हुई कोई मौत इतना सफेद झूठ?

What a lie, ! What did the government say in the second wave of corona, no death due to lack of oxygen is such a white lie?

कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य में या केंद्र शासित प्रदेशों में ऑक्सीजन की कमी से मौत नही हुई!ये कहना है सरकार का।स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ये बात कही है।उन्होंने ये भी कहा है कि कोविड महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गयी थी महामारी की पहली लहर के दौरान इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर में बढ़कर 9000 मीट्रिक टन हो गयी थी।इसी दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या दूसरी लहर के ऑक्सीजन की कमी से मौत नही हुई तो तब उन्होंने लिखित तौर पर ये बात कही ।उन्होंने ये भी कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है ,राज्य और केंद्र शासित राज्यों को कोविड से हुई मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए थे।सभी राज्य और केंद्र शासित राज्य नियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड से हुई मौत का ब्यौरा देते है बहरहाल किसी भी राज्य या केंद्र शासित  राज्य से ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की कोई खबर नही मिली है।


उधर स्वास्थ्य राज्य मंत्री के इस बयान पर विपक्ष ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार के इस दावे पर सवाल उठाए हैं, प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कई आरोप लगाए।प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ''"ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई": केंद्र सरकार. मौतें इसलिए हुईं क्योंकि महामारी वाले साल में सरकार ने ऑक्सीजन निर्यात 700% तक बढ़ा दिया,क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं की,एंपावर्ड ग्रुप और संसदीय समिति की सलाह को नजरंदाज कर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का कोई इंतजाम नहीं किया, अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने में कोई सक्रियता नहीं दिखाई।"विपक्ष के सवालों की जवाबदेही केंद्र सरकार ने राज्यों पर डाल दी,सवाल ये भी है कि राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौतों का आंकड़ा केंद्र को क्यो नहीं दिया ?और दिया तो अब ये बयान क्यो?
"अबकी सावन ये शरारत हमारे साथ हुई,
हमारे घर को छोड़, सारे शहर में बरसात हुई!"ये पंक्तियां केंद्र सरकार के इस दावे पर एकदम सटीक बैठती है।कोविड19 की दूसरी लहर के दौरान तमाम न्यूज़ चैनलों में अखबारों में समाचार एजेंसियो में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत सुर्खियों में छाई रही थी।बीबीसी की एक खबर के मुताबिक एक मई को महरौली स्थित बत्रा अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किए गए 12 कोविड मरीज़ों की मौत हो गई और अस्पताल ने इन मौतों का ज़िम्मेदार ऑक्सीजन की कमी को बताया।उससे कुछ ही दिन पहले ही दिल्ली के रोहिणी में मौजूद जयपुर गोल्डन अस्पताल के आईसीयू में भर्ती 20 लोगों की मौत कथित तौर पर ऑक्सीजन का स्तर गिरने से हुई।


जहाँ हाई कोर्ट के सामने अस्पताल ने दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन पहुंचाने में देरी के लिए दोषी ठहराया, वहीं दिल्ली सरकार ने कोर्ट में यह दावा किया कि ये मौतें ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुईं बल्कि इस वजह से हुई कि वे अस्पताल में रहने के दौरान पहले से ही बहुत बीमार थे।दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों में से एक सर गंगाराम अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कथित कमी के कारण 25 गंभीर रूप से बीमार रोगियों की 22-23 अप्रैल की दरम्यानी रात में मौत हो गई थी।इसी तरह हर राज्य से ऐसी ही खबरे सामने आई थी।


सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिए अब गलत आंकड़े गलत सूचना दे रही है।और जिम्मा राज्य सरकारों पर डाल रही है।स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि राज्य सरकारें आंकड़े देती है, हम कंपाइल करके उसे छापते हैं,केंद्र सरकार की इससे ज्यादा कोई भूमिका नहीं होती इस जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी साफ कर दिया कि स्वास्थ्य व्यवस्था राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है,राज्यों ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत का जिक्र नहीं किया।


इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र सरकार राज्यो को मुद्दा बनाकर ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को छुपा रहा है।एक राज्य ने माना मौत के आंकड़े नही दिए पर क्या देश के सभी राज्यो से ये भूल हुई होगी ये सोचने की बात है।